ठंड में पशुओं की सावधानी से करें देखभाल
अंबेडकरनगर : इस ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय पशुओं की देखभाल बहुत ही सावधानी औ
अंबेडकरनगर : इस ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय पशुओं की देखभाल बहुत ही सावधानी और उचित तरीके से करनी चाहिए। ठंड के मौसम में होने वाले परिवर्तन से पशुओं पर खराब प्रभाव पड़ता है। इसके बाद भी ठंड के मौसम में पशुओं की दूध देने की क्षमता शिखर पर होती है। ऐसे में ठंढ के मौसम में पशुपालन करते समय पशु प्रबंधन ठीक न होने पर मवेशियों को खतरा पहुंच सकता है। उक्त बातें कृषि विज्ञान केंद्र पांती के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रामजीत ने बताया कि पशुपालक ठंड के मौसम में पशुपालन करते समय दुधारु पशुओं की देखभाल वैज्ञानिक विधि से करें तो ज्यादा लाभकारी होगा। पशुशाला के दरवाजे व खिड़कियों पर बोरे लगाकर सुरक्षित करें। जहां पशु विश्राम करते हैं वहां पुआल, भूसा, अरहर की सूखी पत्तियां ,पेड़ों की पत्तियां बिछाना जरूरी हैं। ठंडी हवा से बचाव के लिए पशुशाला के खिड़कियों, दरवाजे तथा अन्य खुली जगहों पर बोरी टांग दें।
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पशुओं के खान-पान के साथ अपनाएं यह विधि
अंबेडकरनगर : केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. विधा सागर ने बताया कि अफारा बीमारी ठंड के मौसम में पशुओं में अधिक होती है। ज्यादा दलहनी हरा चारा जैसे बरसीम व अधिक मात्रा में अन्न व आटा, बचा हुआ बासी भोजन खिलाने के कारण यह रोग होता है। इसमें जानवर के पेट में गैस बन जाती है। बायीं कोख फूल जाती है। रोकथाम हेतु अलसी का तेल 200 ग्राम पिलाने पर तुरंत लाभ होता है। ठंड से प्रभावित पशु को नाक व आंख से पानी आना, भूख कम लगना, शरीर के रोंएं खड़े हो जाना आदि लक्षण आते हैं। उपचार के लिए एक बाल्टी खौलते पानी के ऊपर सूखी घास रख दें। रोगी पशु के चेहरे को बोरे या मोटे चादर से ऐसे ढ़कें कि नाक व मुंह खुला रहे। फिर खौलते पानी भरे बाल्टी पर रखी घास पर तारपीन का तेल बूंद-बूंद कर गिराएं। भाप लगने से पशु को आराम मिलेगा। सरसों का तेल 250 मिली तेल पांच मिली , कपूर 5 ग्राम सभी को आपस में मिला कर हल्का गर्म करके पशु की मालिश करें, इससे लाभ होगा। यदि आवश्यकता पड़े तो क्षेत्रीय पशु चिकित्साधिकारी से तत्काल संपर्क करें।