अजमेरी बादशाहपुर बनेगा कुम्हारी कला का बादशाह

मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में बसखारी ब्लाक के अजमेरी बादशाह गांव को मिट्टी के उत्पादों के निर्माता के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:49 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:49 PM (IST)
अजमेरी बादशाहपुर बनेगा कुम्हारी कला का बादशाह
अजमेरी बादशाहपुर बनेगा कुम्हारी कला का बादशाह

अंबेडकरनगर: मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने में बसखारी ब्लाक का गांव अजमेरी बादशाहपुर कुम्हारी कला में बादशाह बनने निकला है। मुफलिसी से गुजर रही कुम्हारी कला को सहेजने-संवारने में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) संजीवनी बनेगा। मिट्टी की विरासत को बढ़ाने की खास पहल में कुम्हारों की राह में आने वाले आर्थिक अभाव समेत सभी अड़चनें सरकार दूर करने चली है। इस मंशा को साकार करने में कुम्हारों को भूमि का पट्टा एवं आधुनिक तरीके से कुम्हारी की कला को निखारने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

एनआरएलएम ने तैयार किया खाका: पुस्तैनी स्वरोजगार को विकसित कर आधुनिकता से कदमताल कराने का खाका शासन की मंशा के अनुसार एनआरएलएम ने तैयार किया है। इसमें बसखारी ब्लाक के अजमेरी बादशाहपुर गांव को चुना गया है। प्रशासन द्वारा यहां कुम्हार परिवारों को उनकी पुस्तैनी कला से वापस जोड़ा जाएगा। भूमि की किल्लत को पट्टा देकर दूर किया जाएगा। इसके अलावा किसानों के खेत से मिट्टी की जरूरत पूरा करने पर इसकी कीमत भी चुकता की जाएगी।

कुम्हारी कला से जोड़ेंगे : अजमेरी बादशाहपुर गांव में कुम्हारों के तकरीबन 54 परिवार हैं। इनमें 25 परिवार ही फिलवक्त पुस्तैनी धंधे से जुड़े हैं। बाकी कुम्हारों को भी उनकी विरासत कुम्हारी कला से वापस जोड़ा जाएगा। आधुनिक मशीनें मुहैया कराने के साथ ही इसके संचालन एवं मिट्टी की विविध कलाकृतियों को बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

हब बनने का सीखेंगे सबक: कुम्हारों को आजमगढ़ जनपद के ब्लैक पाटरी एवं गोरखपुर के टेराकोटा कुम्हारी कला के केंद्रों का भ्रमण भी एनआरएलएम द्वारा कराया जाएगा। इसमें आने वाले खर्च को एनआरएलएम वहन करेगा। जनपद स्तर पर प्रशिक्षण देने का इंतजाम भी इसी के जिम्मे होगा। इसके बाद यहां कुम्हार आधुनिक तकनीकी से बेहतरीन बर्तन बनाएंगे।

बसखारी ब्लाक के अजमेरी बादशाहपुर गांव में कुम्हारों को पुस्तैनी कुम्हारी कला से फिर जोड़ने तथा आधुनिक तरीके से इसे करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। आसपास के जिलों में कुम्हारी कला के केंद्रों का भ्रमण कराकर सीखने का मौका दिया जाएगा। भूमि का पट्टा देने का भी इंतजाम है।

आरबी यादव, उपायुक्त

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन

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