आस्था के साथ वैज्ञानिक सोच ने कुम्हारों का बढ़ाया मनोबल
अंबेडकरनगर दीपों के पर्व दीपावली पर भले ही सतरंगी झालरों व बल्बों से गांव-नगर के भवन जगमग
अंबेडकरनगर: दीपों के पर्व दीपावली पर भले ही सतरंगी झालरों व बल्बों से गांव-नगर के भवन जगमग रहते हों, पर मिट्टी के दीयों से इस पर्व को मनाने का अपना एक अलग आनंद है। बीते दो दशक से चाइनीज झालरों व रोशनी के अन्य संसाधनों ने इस पर ग्रहण लगा रखा था, लेकिन जब से अयोध्या जनपद में लाखों दीये जलाकर दीपावली मनाई जाने लगी, तब से लोगों की सोच में काफी बदलाव आया है। पिछले तीन वर्षों में मिट्टी के दीयों की मांग काफी बढ़ी है। आस्था के साथ लोगों की वैज्ञानिक सोच ने कुम्हारों की जीवन दशा बदल दी है। इस दीपावली पर भी हर तरफ मिट्टी के दीयों से रोशनी बिखरने की आस में कुम्हारों ने अपने चाक की रफ्तार तेज कर दी है। कइयों ने खुद के बनाए दीपक और मिट्टी के खिलौने बाजार में दुकान लगाकर बेचने का मन बना लिया है। --------
कुम्हारी का कारोबार हमारे बाप दादा के जमाने से चला आ रहा है। करीब एक दशक से लोगों का रुझान मिट्टी के बर्तनों और दीयों से उठ गया था। जब से अयोध्या जनपद में लाखों दीए जलाकर दीवाली मनाई जाने लगी, तब से हम लोगों का मनोबल भी बढ़ा है।
लाल बिहारी प्रजापति, न्योतरिया, अकबरपुर
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पिछले दो वर्षों से दीपावली पर मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है। अब तक एक हजार से अधिक दीप बनाए जा चुके हैं। इस बार ज्यादा से ज्यादा दीपक और मिट्टी के खिलौने बनाने का लक्ष्य बनाया है।
रामनायक प्रजापति, महरुआ
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अयोध्या जनपद की भांति यदि हर जिले के सबसे बड़े धार्मिक स्थल पर दीप जलाया जाए। साथ ही इन दीपकों की आपूर्ति उसी जनपद के कुम्हारों से की जाए तो स्थानीय कुम्हारों की दशा बदल सकती है।
सीताराम, पतौना, महरुआ