बागियों को अपनाने में दलों के दिल हुए दरिया
पार्टी से समर्थन देने में इन्हें नकारने की सुधार रहे भूल जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर इनकी जरूरत अहम
अंबेडकरनगर: जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में समर्थन देने को लेकर अपनों को नकारने की भूल को पार्टियां सुधारने में लग गई हैं। बागियों को अपनाने में दलों के दिल अब दरिया बन गए हैं। इनकी जीत में आने वाले रोड़े को चुनने में पार्टी के नेताओं ने ताकत झोंक दी है। वजह, जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाने में इनके साथ मिलने की खासी जरूरत है। वहीं निर्दल उम्मीदवार विजय हासिल कर निर्णायक भूमिका में खड़े हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष की पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित कुर्सी पर बैठने का जतन हर दल ने शुरू कर दिया है। जिला पंचायत सदस्य की कुल 41 सीटों में सपा के पास 12 तथा बसपा के पास आठ सीटे हैं। वहीं भाजपा के पास दो तथा एक सीट भारतीय समाज पार्टी व एक भीम आर्मी की झोली में गिरी है। सपा के बागी चार और बसपा के बागी एक उम्मीदवार जीते हैं। इससे इतर 12 निर्दल उम्मीदवारों को जीत मिली है। ऐसे में अब बागी उम्मीदवारों के शामिल होने पर सपा के पास जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए 16 सीटें होंगी। वहीं बसपा के पास बागी उम्मीदवार को मिलाकर बाद कुल नौ सीटें होंगी।
खास बात है कि बागी उम्मीदवार साधू वर्मा को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदार भी माना जा रहा है। ऐसे में बागियों को अपनाने में दलों के दिल अब दरिया बनने लगे हैं। इसकी नजीर रामनगर दक्षिणी सीट पर देखने को मिली। यहां सपा के बागी उम्मीदवार अश्वनी के जीत की राह में आने वाली अड़चनों को दूर करने में सपा नेताओं ने समर्थकों के साथ पूरी ताकत झोंक दी। आधी रात से लेकर दूसरे दिन दोपहर तक मतगणना स्थल पर डेरा डाले रहे। इसके बाद प्रमाणपत्र देने के लिए समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट में देररात तक डटे रहे।
सपा, बसपा और सत्तादल भाजपा से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए दावेदारी करने की दशा में बागियों का साथ मिलने से सपा की राह निष्कंटक हो जाएगी। वहीं बसपा को भी जीतने के लिए मशक्कत कम करनी होगी। भाजपा के लिए दो सीटों पर जीत हासिल करने की दशा में जिला पंचायत की कुर्सी हासिल करना अब निर्दलीय, बागी और भासपा समेत भीम आर्मी के साथ की जरूरत होगी। जिला पंचायत अध्यक्ष का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होने की दशा में भीटी चतुर्थ से अमरेंद्र पाल ही भाजपा की पहले दावेदार माने जाते हैं। वहीं निर्दल उम्मीदवारों में भी भाजपा ठिकाना तलाश सकती है। खैर, परिणाम की घोषणा होने के बाद अब अध्यक्ष पद के दावेदार जीत पाने के लिए हमसफर की तलाश करने में जुट गए हैं।