धार्मिक महत्ता की विरासत संजोए हैं 12 बुजुर्ग वृक्ष
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए वन विभाग सतत प्रयासरत है।
अंबेडकरनगर: पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए वन विभाग सतत प्रयासरत है। अब स्वच्छ पर्यावरण के आधार इन वृक्षों की धार्मिक-सांस्कृतिक महत्ता, उनके औषधीय गुण और इसके वैज्ञानिक पहलू को समझने के लिए वन विभाग ने सौ साल से पुराने बुजुर्ग वृक्षों को संरक्षित कर उन्हें विरासत की सूची में शामिल किया है। मकसद, अगली पीढ़ी को इसके महत्व से परिचित कराना है। जनपद में ऐसे 12 विशालकाय वृक्षों का चयन किया गया है। इनके संरक्षण के साथ गुणों का बखान किया जाएगा। औषधीय गुणों के अलावा वैज्ञानिक पहलू को भी बताया जाएगा। जिन वृक्षों का चयन किया गया है, उनमें पांच बरगद, छह पीपल और एक पेड़ कुसुम का शामिल है।
-जुड़ी हैं स्थानीय लोक कथाएं एवं परंपराएं: मशहूर तीर्थस्थल शिवबाबा मंदिर परिसर में सदियों पुराना बरगद का पेड़ है। यह वट वृक्ष सामुदायिक भूमि पर है और कोई विवाद नहीं है। मान्यता है कि लोग शिवबाबा के आशीर्वाद से सदैव सुखी एवं संपन्न रहते हैं। धर्मप्रेमी यहां काफी संख्या में आते हैं। टांडा के मीरानपुरा बाभनपुर श्मशान घाट पर पीपल का वृक्ष है। यहां मां काली का स्थान है। मान्यता है कि लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चाचिकपुर में गोंसाईगंज-भीटी मार्ग पर पीपल का वृक्ष है। यहां प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है और शनिवार के दिन जलाभिषेक किया जाता है। दीपावली के पूर्व रामलीला और मेला का आयोजन होता है। जय साखवीर बाबा मंदिर परिसर में एक वृक्ष है। इसकी प्रजाति अभी विभाग नहीं तय कर पाया है। यहां मंदिर है। मान्यता है कि जो लोग पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें मन वांछित फल मिलता है। जलालपुर के गौसपुर ककरहियां शिव मंदिर में पीपल और बरगद का वृक्ष है। यहां महाशिवरात्रि को मेला लगता है। मां दुर्गा और हनुमान जी का मंदिर भी है। जलालपुर के बरौली आशानंदपुर में पीपल का वृक्ष है, यहां लोग प्रतिदिन पूजा-अर्चना करते हैं। बसखारी ब्लॉक के सिंहल पट्टी झारखंडी बाबा में बरगद का वृक्ष है। इस वृक्ष की सदियों से पूजा की जा रही है। गोवर्धनपुर में एक दूसरे से लिपटे बरगद व पीपल के वृक्ष अंग्रेजों के जमाने से हैं। हंसवर रियासत और अंग्रेजों से पीड़ित होकर जयराम पंडित ने इसी स्थान पर आत्मदाह किया था। चहोड़ा शाहपुर में पीपल का वृक्ष है। यहां मंदिर में बाबा गोरखनाथ की मूर्ति है और रविवार को मेला लगता है। इसी परिसर में बरगद का भी एक वृक्ष है।
जनपद से कुल 14 वृक्षों को विरासत में शामिल करने के लिए सूचना शासन को भेजी गई थी। इसमें 12 वृक्षों को विरासत में शामिल कर लिया गया है। अब इनका सुंदरीकरण भी कराया जाएगा।
एके कश्यप, प्रभागीय वनाधिकारी