कंपनी की मोटी रकम लेकर भागा युवक, प्रयागराज पुलिस के सामने कई घंटे पंचायत के बाद समझौता
संचालकों का वह विश्वासपात्र बन गया था। उसका भी बैंक में खाता खुलवाकर रुपये जमा कराए जाते थे। जरूरत पडऩे पर संचालक उससे रुपये ले लेते थे। दो माह पहले उसके खाते में चार लाख रुपये जमा हुए तो वह निकल भागा। संचालक उसका इंतजार करते रहे लेकिन नहीं लौटा।
प्रयागराज, जेएनएन। दारागंज क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति ने पहले कंपनी के संचालकों का विश्वास जीता और जब खाते में चार लाख रुपये आ गए तो वहां से निकल भागा। खाते से 97 हजार रुपये निकला तो कंपनी संचालक उसकी तलाश में लग गए। मंगलवार को उसके घर पहुंचे तो कुछ देर बाद उसके पुत्र ने पिता की अपहरण की सूचना पुलिस को दी। हालांकि, कुछ ही देर बाद पुलिस को युवक के पिता और कंपनी संचालक मिल गए। देर रात तक थाने में दो पक्षों के बीच पंचायत होती रही और फिर समझौता हो गया।
पांच साल तक कंपनी में काम कर हो गया था भरोसेमंद
दारागंज क्षेत्र में रहने वाला एक शख्स आजमगढ़ में एक कंपनी में करीब पांच वर्ष से काम करता था। संचालकों का वह विश्वासपात्र बन गया था, जिस कारण उसका भी बैंक में खाता खुलवाकर रुपये जमा कराए जाते थे। जरूरत पडऩे पर संचालक उससे रुपये ले लेते थे। दो माह पहले उसके खाते में चार लाख रुपये जमा हुए तो वह वहां से निकल भागा। संचालक उसका इंतजार करते रहे, लेकिन वह नहीं लौटा। मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया था। कुछ दिन पहले उसने खाते से 97 हजार रुपये निकाले तो संचालकों को इसकी जानकारी हो गई। उसने नैनी स्थित जो पता लिखवाया था, वहां मंगलवार को दिन में संचालक पहुंचे तो मालूम हुआ कि पता फर्जी है। इसके बाद सुराग लगा कि वह दारागंज का रहने वाला है। संचालक यहां पहुंचे तो वह मिल गया। इसके कुछ देर बाद उस व्यक्ति के पुत्र ने पिता के अपहरण की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और पूरा मामला रुपये के लेन-देन का निकला। इंस्पेक्टर जेपी शाही का कहना है कि अपहरण का नहीं बल्कि रुपये के लेन-देन का मामला था।