दुनिया के तीन प्रभावशाली पूर्व छात्रों का संगठन, जहां बसती है पुरा छात्रों की दुनिया
आइआइएम अहमदाबाद से पढ़ने के बाद अपना पूरा जीवन इस संस्था में लगा दिया। वे वर्ष 1979 बैच के छात्र थे। हाल ही में वे संस्था में कार्यकारी सचिव हैं। वे 14 साल से इंटरनेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन ऑफ चिल्ड्रन से भी जुड़े हुए हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। आप जिस स्कूल, कॉलेज और विश्वविदयालय से पढ़े रहते हैं, उसकी यादें आपके दिल में हर समय रची बसी रहती हैं। इन यादों को तरोताजा और उससे जुड़े रहने का एक माध्यम होता है पुरा छात्र संगठन। इसके माध्यम से हम अपने कॉलेज से हमेशा जुड़े रहकर अपनी स्मृतियों को ताजा करते रहते हैं। हम आपको इस खबर के माध्यम से दुनिया के तीन सबसे प्रभावशाली पूर्व छात्र संगठन के बारे में कुछ अहम बातें पता चलेंगी।
उद्योगपति रतन टाटा हैं पूर्व छात्र:
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड लॉ स्कूल के पूर्व छात्रों का संगठन दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना 1636 में हुई थी। हार्वर्ड के नवाचार और उत्कृष्टता ने सदियों से दुनिया को प्रभावित किया है। जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा भी यहीं से पढ़े हैं। उन्होंने हार्बर्ड बिजनेस स्कूल में एक हॉल बनवाया है, जो वर्ष 2013 को समर्पित किया था।
95000 पूर्व छात्रों का है परिवार:
स्टैंडफोर्ड विवि के पूर्व छात्रों के संगठनों में 95000 छात्रों का समूह जुड़ा है। रोजगार से लेकर कॉलेज में सुविधाएं उपलब्ध करवाने के मामले में यह एक बेहतरीन समूह है। पूर्व छात्रों द्वारा व्यवसाय केंद्र, लाइब्रेरी, कैफे चलाया जा रहा है। पूर्व छात्र मिलकर एक पत्रिका भी प्रकाशित करते हैं। एक पूर्व अमेरिकी सीनेटर ने 1891 में स्टैंडफोर्ड विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
155 देशों में फैले हैं पूर्व छात्र:
प्रिंसटन विश्वविद्यालय पिछले 273 वर्षो से संचालित हो रहा है। वर्ष 2019 तक 93,000 से अधिक स्नातक विद्यार्थी इस कॉलेज से पढ़कर निकल चुके थे लगभग 155 देशों में फैले हुए हैं। दो पूर्व छात्रों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया है और तीन पूर्व छात्रों ने संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदस्थ हुए।
दिव्यांगों के लिए समर्पित आइआइएम के पूर्व छात्रों का संगठन
भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद के पूर्व छात्र भूषण पुनानी पिछले करीब चार दशक से ब्लाइंड पीपल एसोसिएशन (अंधजन मंडल) अहमदाबाद में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। संस्था का मुख्य कार्य बहरे, गूंगे, नेत्रहीन तथा विविध तरह के दिव्यांग को शिक्षा, प्रशिक्षण, कौशल विकास, रोजगार के साथ समाज की विविध तरह की सामाजिक, आर्थिक व खेल की गतिविधियों से जोड़ना है। गुजरात तथा देश के कई शहरों से यहां बच्चे जहां स्कूली शिक्षा प्राप्त करते हैं वही जीवन में कमाकर खाने, नौकरी अथवा रोजगार के लिए भी यहां पर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
संस्था में लड़के-लड़कियों को सिलाई, बुनाई, बढ़ईगिरी, टेलीफोन ऑपरेटर कंप्यूटर ऑपरेटर, जैसे काम सिखाए जाते हैं साथ ही बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों की तरह विविध तरह के खेल चेस, दौड़, ब्लाइंड क्रिकेट आदि भी सिखाए जाते हैं। संस्था को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूर्व छात्रों का संगठनों सक्रिय रहता है। चेयरमैन पीयूष देसाई बताते हैं बीते साल की जापान सरकार ने संस्था से 50 लाख के उत्पाद व फर्निचर खरीदे। भूषण पुरानी ने आइआइएम अहमदाबाद से पढ़ने के बाद अपना पूरा जीवन इस संस्था में लगा दिया। वे वर्ष 1979 बैच के छात्र थे। हाल ही में वे संस्था में कार्यकारी सचिव हैं। वे 14 साल से इंटरनेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशन ऑफ चिल्ड्रन से भी जुड़े हुए हैं।
दुनिया का सबसे बड़ा लैब बनाने में जुटा आइआइटी एलुमनी काउंसिल:
आइआइटी एलुमनी काउंसिल ने इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के साथ साङोदारी की है। इस साझेदारी का लक्ष्य संयुक्त रूप से कोविड-19 और कोविड पीड़ितों के डाटा का अध्ययन करना है। आइआइटी के पूर्व छात्रों की परिषद दुनिया की सबसे बड़ी मॉलिक्यूलर नैदानिक प्रयोगशाला (मेगा लैब, मुंबई) स्थापित करने पर भी काम कर रही है। इस लैब में एक साथ एक करोड़ जांचें हो सकेंगी। देश के लिए यह एक बड़ी पहल है। एलुमनी काउंसिल की स्थापना वर्ष 2019 में सामाजिक महत्व की परियोजनाओं को पूरा करने के उद्देश्य के साथ की गई थी। यह देश के सभी 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और उत्कृष्ट तकनीकी संस्थानों के पूर्व छात्रों और फैकल्टी का सबसे बड़ा निकाय है।