आप भी मानिए अध्यापक अशोक की सलाह, ऑक्सीजन सिलिंडर खोजने से अच्छा है एक पौधा रोज लगाओ

ज्ञानपुर के मूल निवासी अशोक पूर्व माध्यमिक विद्यालय सारीपुर ज्ञानपुर में सहायक अध्यापक हैं। 1999 से वह शिक्षण कार्य कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट भी हैं। वाक रेस की स्पर्धा में कई पदक जीत चुके हैं। 2017 में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजे गए।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 07:00 AM (IST)
आप भी मानिए अध्यापक अशोक की सलाह, ऑक्सीजन सिलिंडर खोजने से अच्छा है एक पौधा रोज लगाओ
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व पूर्वांचल में ट्री मैन के नाम से पहचान बना चुके अशोक पहवा का।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी में लोग ऑक्सीजन के सिलिंडर खोज रहे हैं। बदतर स्थिति बदलने के लिए जरूरी है कि एक पौधा रोज लगाएं। बरगद, पीपल, पाकड़ सरीखे ऑक्सीजन प्लांट लगाएं। नीम और आम की तरह वैद्य तैयार हों। जामुन, इमली की तरह पैरामेडिकल स्टाफ भी हों। यह कहना है राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व पूर्वांचल में ट्री मैन के नाम से पहचान बना चुके अशोक पहवा का। अपने हरियाली अभियान को गति देने के लिए शनिवार को वह प्रयागराज में थे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट भी
ज्ञानपुर के मूल निवासी अशोक पूर्व माध्यमिक विद्यालय सारीपुर, ज्ञानपुर में सहायक अध्यापक हैं। 1999 से वह शिक्षण कार्य कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट भी हैं। वाक रेस की स्पर्धा में कई पदक जीत चुके हैं। 2017 में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजे गए। उसके बाद से ही उन्होंने संकल्प लिया कि प्रतिदिन कम से कम एक पौधा जरूर लगाएंगे। अब तक सात हजार से अधिक पौधे लगा चुक हैं। अभियान को गति देने के लिए उन्होंने प्रयागराज में वैचारिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. ज्ञानप्रकाश सिंह से मुलाकात की। कहा कि प्रत्येक शिक्षक को कम से कम एक पौधा प्रतिदिन लगवाएं। मोबाइल से अन्य शिक्षकों से भी विमर्श किया। वैचारिक शिक्षक संघ ने भी आश्वासन दिया कि मुहिम को आगे बढ़ाएंगे।
 
राष्ट्रपति की प्रेरणा से शुरू किया अभियान
अशोक पहवा कहते हैं कि राष्ट्रपति पुरस्कार लेने के लिए जब वह राष्ट्रपति रामनाथ कोविद से मिले तो उन्होंने कहा कि इस पुरस्कार को सार्थक बनाने के लिए कुछ अलग करें। वहीं से पौधे रोपने की प्रेरणा मिली। इस कार्य में पत्नी अमृता भी सहयोग करती हैं। उन्होंने घर में ही मेरे लिए करीब 300 पौधों की नर्सरी बना रखी है। उन्हीं पौधों को हम बाहर लगाते हैं।

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