योगगुरु आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ से लगाई सुरक्षा की गुहार, गुरु नरेंद्र गिरि पर लगाए कई आरोप

योगगुरु आनंद गिरि का कहना है कि निरंजनी अखाड़ा के सचिव रहे श्रीमहंत आशीष गिरि के जरिए मांडा प्रयागराज में अखाड़े की जमीन का बड़ा हिस्सा सियासी रसूख वाले को बेचा गया। आशीष गिरि ने विरोध किया तो हत्या करवा दी और आत्महत्या बताकर केस खत्म करवा दिया।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:02 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:27 AM (IST)
योगगुरु आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ से लगाई सुरक्षा की गुहार, गुरु नरेंद्र गिरि पर लगाए कई आरोप
योगगुरु आनंद गिरि ने सीएम योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई है।

प्रयागराज, जेएनएन। बाघम्बरी मठ व निरंजनी अखाड़ा से निष्कासित योगगुरु स्वामी आनंद गिरि ने अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने अपने गुरु अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरि और उनके करीबियों से जान का खतरा बताते हुए कहा है कि सुरक्षा न मिली तो श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव रहे आशीष गिरि की तर्ज पर उनकी भी हत्या हो सकती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रेषित मेल में खुद को धमकियां मिलने और हरिद्वार स्थित निर्माणाधीन आश्रम सीज करवाए जाने का उल्लेख करते हुए आनंद गिरि ने तमाम बातें लिखी हैं। उन्होंने कहा है कि वह श्री मठ बाघम्बरी गद्दी से 2005 से जुड़े हैं। उनके गुरु ने 2004 में निरंजनी अखाड़े के विद्यालय की जमीन बेची तो विरोध हुआ। मैं तब निरंजनी अखाड़ा का थानापति था और बड़ोदरा में मंदिर का पुजारी बनाया गया था। गुरु ने रक्षा के लिए मुझे बुलवा लिया। मैंने उनके लिए हर जगह पैरवी की।

इसके बाद तत्कालीन आइजी आरएन सिंह की गुरु से मित्रता हो गई थी। वह मठ की जमीन बिकवाना चाहते थे, मैंने विरोध किया। इस पर आरएन सिंह ने मेरे खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हनुमान मंदिर में धरने पर बैठ गए थे। प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार थी। मैंने तत्कालीन वरिष्ठ सपा नेता जनेश्वर मिश्र से संपर्क किया तो जनेश्वर मिश्र ने मुख्यमंत्री मुलायम सिंह से बात कर आरएन सिंह को निलंबित करा दिया।

फिर 2011 में गुरु की मित्रता महेश नारायण सिंह नामक राजनीतिक व्यक्ति से हुई। उनके माध्यम से शैलेंद्र सिंह को मठ की लगभग सात बीघा भूमि 40 करोड़ रुपये में बेच दी गई। मैंने इसका भी विरोध किया। रजिस्ट्री कर गुरु नरेंद्र गिरि मंदिर आए और बैठे-बैठे घबराकर गिरि गए। उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। महेश नारायण 2012 में चुनाव जीते तो मठ पर कब्जे के लिए हमला कर दिया।

गौशाला की जमीन लीज पर दी : आनंद गिरि के अनुसार गुरु ने गौशाला की जमीन उनके नाम पर लीज की। कहा कि भविष्य में तुम्हारे नाम से पेट्रोल पंप खोल देंगे। फिर 2020 में लीज कैंसिल करने को दबाव बनाने लगे। कहा कि मुझे पैसों की जरूरत है जमीन बेचनी पड़ेगी।

गनर व विद्यार्थियों के नाम खरीदी संपत्ति : आनंद गिरि के अनुसार महंत नरेंद्र गिरि ने सिपाही अजय सिंह नामक गनर के नाम दो फ्लैट व बेनामी संपत्ति खरीदी। ड्राइवर विपिन सिंह को बड़ा मकान बनाकर दिया। रामकृष्ण पांडेय नामक विद्यार्थी को मकान बनाकर दिया। मंदिर में दुकान भी दी। विद्यार्थी विवेक मिश्र को जमीन खरीदने के साथ बड़ा मकान बनाकर दिया। विद्यार्थी मनीष शुक्ल के लिए 15 करोड़ से अधिक का मकान बनवाया जमीन खरीदी। मेरे नाम की फॉरचुनर गाड़ी भी उसके नाम कर दी। अभिषेक मिश्र, मिथलेश पांडेय के लिए बेशकीमती मकान बनवाया और उनके नाम से जमीन खरीदी। पहले आदित्यनाथ मिश्र नामक अपराधी को संरक्षण दिया फिर जेल भिजवा दिया।

दावा, आशीष गिरि की हुई थी हत्या : आनंद गिरि का कहना है कि निरंजनी अखाड़ा के सचिव रहे श्रीमहंत आशीष गिरि के जरिए मांडा प्रयागराज में अखाड़े की जमीन का बड़ा हिस्सा सियासी रसूख वाले को बेचा गया। लगभग 35 करोड़ में जमीन बिकी थी। अखाड़े को 24 करोड़ रुपये ही मिले। आशीष गिरि ने विरोध किया तो हत्या करवा दी और आत्महत्या बताकर केस खत्म करवा दिया।

आस्ट्रेलिया में जेल षडय़ंत्र का नतीजा : वर्ष 2019 में आस्ट्रेलिया में हुई जेल को आनंद गिरि ने षड्यंत्र बताया है। कहा कि गुरु ने मुझे छुड़ाने के नाम पर चार करोड़ रुपये जुटाए और एक भी पैसा नहीं भेजा। कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया।

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