Yamuna Darshan Yatra: यमुनोत्री से यात्रा लेकर पहुंचे भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय महासचिव गोविंदाचार्य, भव्‍य स्‍वागत

Yamuna Darshan Yatra भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय महासचिव केएन गोविंदाचार्य ने 28 अगस्त 2021 से यमुनोत्री उत्तराखंड से यमुना दर्शन यात्रा शुरू की थी। यात्रा के प्रयागराज जनपद की सीमा में पहुंचने पर स्‍वागत किया गया। तमाम जगहों पर यमुना दर्शन यात्रा के साथ गोविंदाचार्य का स्वागत किया गया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 12:25 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 12:25 PM (IST)
Yamuna Darshan Yatra: यमुनोत्री से यात्रा लेकर पहुंचे भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय महासचिव गोविंदाचार्य, भव्‍य स्‍वागत
यमुना दर्शन यात्रा के साथ प्रयागराज पहुंचने पर भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय महासचिव गोविंदाचार्य का स्‍वागत हुआ।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उत्‍तराखंड के यमुनोत्री से शुरू यमुना दर्शन यात्रा प्रयागराज पहुंची। भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव व सामाजिक चिंतक केएन गोविंदाचार्य इस यात्रा को लेकर पहुंचे। यहीं यात्रा का समापन विधि-विधान के साथ किया जाएगा। गोविंदाचार्य सोमवार को प्रयागराज में हैं। वह हिंदुस्‍तानी एकेडमी में प्रकृति केंद्रित विकास पर संवाद करेंगे। इसमें पर्यावरणीय चक्र असंतुलन व प्राकृतिक आपदाओं के बढऩे की वजहों और उनके समाधान भी बताएंगे।

उत्‍तराखंड के यमुनोत्री से 28 अगस्‍त को शुरू हुई थी यात्रा

भाजपा के पूर्व राष्‍ट्रीय महासचिव केएन गोविंदाचार्य ने 28 अगस्त 2021 से यमुनोत्री उत्तराखंड से यमुना दर्शन यात्रा शुरू की थी। यात्रा प्रयागराज तो पहुंच चुकी है, हालांकि इसका समापन कल 14 सितंबर को यहीं होगा। यात्रा को लेकर वह प्रयागराज पहुंचे थे। जनपद की सीमा में पहुंचने पर तमाम जगहों पर यमुना दर्शन यात्रा के साथ गोविंदाचार्य का स्वागत किया गया। शंकरगढ़, घूरपुर, मामा भांजा तालाब पर उत्साही युवकों ने माला पहनाकर उनका अभिनंदन किया। इस दौरान नदियों को बचाने के लिए जगह जगह मंथन हुआ। युवा पीढ़ी ने भी सभी नदियों को जीवंत बनाए रखने का संकल्प लिया। खासकर पालीथिन के प्रयोग से बचाने व नदियों में नालों के गिरने से बचाने के तमाम उपायों पर भी चर्चा हुई।

नदियों के महत्‍व को रेखांकित करने निकाली गई यमुना दर्शन यात्रा

गोविंदाचार्य ने कहा कि यह यात्रा आम जनमानस में जागरूकता व नदियों के महत्व को रेखांकित करने के लिए आयोजित की गई। इसमें स्वयं के लिए भी कुछ निहितार्थ निकाले गए और समाज के लिए भी कुछ बिंदु और मानक तय किए गए।

कोरोना संकट ने प्रकृति केंद्रित विकास की अवधारणा को बल दिया

गोविंदाचार्य कहते हैं कि कोरोना संकट ने भी साबित कर दिया कि जब कि प्रकृति केंद्रित विकास नहीं होगा तब तक हम खुद के अस्तित्व को बचाने में सफल नहीं होंगे। सबसे सही माडल है कि पहले प्रकृति की रक्षा की जाए, उसके बाद हम स्वयं सुरक्षित हो जाएंगे। भारत के संदर्भ में बात करें तो प्रकृति हमारी वास्तविक ताकत है और धरोहर है। इसकी अनदेखी से ही पर्यावरणीय चक्र असंतुलित हो रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ रही हैं। प्रौद्योगिकी पर लोकपाल, लोकायुक्त जैसी नियंत्रणकारी व्यवस्था की ओर दुनिया को कदम बढ़ाना चाहिए।

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