होलाष्टक में करें आराधना, पाएं सुफल

होली के उल्लास उत्साह व उमंग का प्रतीक होलाष्टक रविवार की भोर 3.04 बजे लग गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Mar 2021 07:32 PM (IST) Updated:Sun, 21 Mar 2021 07:32 PM (IST)
होलाष्टक में करें आराधना, पाएं सुफल
होलाष्टक में करें आराधना, पाएं सुफल

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : होली के उल्लास, उत्साह व उमंग का प्रतीक होलाष्टक रविवार की भोर 3.04 बजे लग गया। फाल्गुन शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ हुआ होलाष्टक आठ दिनों तक चलेगा। होलाष्टक का शाब्दिक अर्थ होला+अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन है। सामान्य रूप से देखा जाए तो होली एक नहीं, बल्कि नौ दिनों का त्यौहार है। होलाष्टक में मागलिक कार्य, गृह प्रवेश, नए रोजगार व नया व्यवसाय आरंभ नहीं करना चाहिए। होलाष्टक में अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकात पाडेय बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार राजा हरिण्यकशिपु ने अपने पुत्र भक्त प्रह्लाद को मारने का प्रयास आरंभ किया था। वह लगातार आठ दिनों तक प्रह्लाद को मारने का प्रयास करते रहे। जब उसमें सफल नहीं हुए तो अंत में अपनी बहन होलिका के साथ उन्हें जलती आग में बैठा दिया। इसी कारण होली से पहले आठ दिनों को अशुभ माना जाता है।

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उग्र रहते हैं ग्रह

आचार्य विद्याकात पाडेय बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के आठ दिनों तक सभी ग्रह उग्र रहते है। इन आठ दिनों में अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहू उग्र रहते हैं। इसी कारण इस अवधि में शुभ कार्य करना वर्जित है।

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होलाष्टक में यह न करें

ज्योतिषाचार्य अमित बहोरे बताते हैं कि होलाष्टक में विवाह, नामकरण व मुंडन संस्कार, भवन निर्माण, नई नौकरी की शुरुआत, भवन व वाहन आदि की खरीदारी नहीं करना चाहिए। बताते हैं कि होलाष्टक में अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती करना चाहिए। इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। परंतु सकाम (किसी कामना से किये जाने वाले यज्ञादि कर्म) हवन, यज्ञ नहीं करना चाहिए।

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