Wildlife News: दुर्लभ प्रजाति के उल्लू की तस्वीर डाक्टर अर्पित बंसल के कैमरे में कैद, जानें रोचक तथ्य
Wildlife News प्रयागराज के डाक्टर अर्पित पिछले दिनों झूंसी स्थित हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट गए थे। उनके साथ संस्थान के प्रोफेसर दलावत भी थे। बातचीत के दौरान उन्होंने धब्बेदार मोटल्ड वुड आउल को देखा। वह पेड़ की एक शाखा पर बैठा था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। वन्यजीव फोटोग्राफर और जीवन ज्योति अस्पताल के निदेशक लेप्रोस्कोपिक सर्जन डाक्टर अर्पित बंसल ने दुर्लभ प्रजाति के उल्लू की तस्वीर को अपने कैमरे में कैद किया है। मोटल्ड वुड प्रजाति का यह उल्लू उन्हें झूंसी स्थित हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट में देखने को मिला। इस दुर्लभ पक्षी को 2016 से इंटरनेशनल यूनियन फार कंजरवेशन आफ नेचर (आइयूसीएन) की लाल सूची में विलुप्त हो रही प्रजाति में सूचीबद्ध किया गया है।
एचआरआइ में धब्बेदार मोटल्ड वुड आउल को देखा
डाक्टर अर्पित ने बताया कि वह पिछले दिनों झूंसी स्थित हरिश्चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट गए थे। उनके साथ संस्थान के प्रोफेसर दलावत भी थे। बातचीत के दौरान उन्होंने धब्बेदार मोटल्ड वुड आउल को देखा। वह पेड़ की एक शाखा पर बैठा था। उसे कौवे व अन्य पक्षी परेशान कर रहे थे। अचानक वह शिकार के लिए जमीन पर आ गिरा। उसी समय मैंने उसे अपने कैमरे में कैद कर लिया। मैं काफी दिन से इस प्रजाति के उल्लू को ढूंढ रहा था।
पक्षियों के विवरण वाली वेबसाइट पर फोटो अपलोड किया
डा. बंसल ने बताया इस प्रजाति के उल्लू का स्पाटिंग बहुत दुर्लभ है। इस लिहाज से उन्हाेंने इसका विवरण ebird.org पर भी अपलोड कर दिया। यह पक्षियों के बारे में जानने का अंतरराष्ट्रीय आनलाइन डेटाबेस है। यह वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और शौकिया प्रकृतिवादियों को पक्षी के बारे में विवरण प्रदान करता है। इससे पक्षी प्रेमियों को इस उल्लू के संभावित ठिकाने के बारे में पता चल सकेगा। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसे संरक्षित करने का प्रयास करेंगी।
बंसल ने अब तक 887 प्रजातियों के पक्षी खोज चुके हैं
डा. बंसल ने बताया कि भारत में पक्षियों की लगभग 1349 प्रजातियां हैं। इनमें से उनके कैमरे ने अब तक 887 प्रजातियों को पहले ही क्लिक कर लिया है। धब्बेदार मोटल्ड वुड आउल के साथ डा. बंसल शहर के अंदर भी उल्लू की पांच विलुप्तप्राय प्रजातियों की तस्वीरें कैद कर चुके हैं। इनमें स्पाटेड उल्लू, जंगल उल्लू, बार्न उल्लू और इंडियन स्कोप्स उल्लू शामिल हैं। ये सभी घटते वन के कारण खतरे में हैं। वह भारत में पाए जाने वाले उल्लुओं की 36 प्रजातियों में 31 की तस्वीरें खींच चुके हैं। वह पिछले 10 साल से वन्यजीव और पक्षी फोटोग्राफी कर रहे हैं।
संरक्षित प्रजाति है उल्लू
भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 की अनुसूची-1 के तहत उल्लू को संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित किया गया है। ये लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है। इनके शिकार या तस्करी करने पर कम से कम तीन साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है। इन्हें पालना और शिकार करने दोनों पर प्रतिबंध है। पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं।
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी आसान नहीं : डाक्टर अर्पित
डा. अर्पित का कहना है कि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करना आसान काम नही है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी अन्य तरह की तस्वीरे खींचने से अलग है। अन्य मौकों पर कमान अक्सर आपके हाथ में होती है कि आप किस तरह से तस्वीर लेना चाहते है। अगर आप किसी इंसान की तस्वीर ले रहे है तो आप उसे बता सकते है कि उसे किस तरह से खड़ा होना चाहिए या किस तरह से अपने आप को प्रदर्शित करना चाहिए। हालांकि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी में ऐसा नहीं होता है। वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी करना चाहते है तो सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि वह आपके इलाके में नहीं, बल्कि आप उनके इलाके में जा रहे है। इसके बाद सभी सुरक्षा के इंतजाम करने के बाद आपको उस खास पल का इंतजार करना होगा। क्योंकि इंसानों की तरह आप जानवरों को आदेश नहीं दे सकते हैं. कई बार आपको एक पल में ही तस्वीर मिल जाए और कई बार घंटों इंतजार करना पड़े।
बोले, जिला वन अधिकारी
जिला वन अधिकारी रमेश चंद्र कहते हैं कि पक्षी प्रेमियों और संरक्षणवादियों द्वारा प्रयागराज में पिछले कुछ वर्षों में 250 से अधिक पक्षी प्रजातियों को देखा गया है। शहर और उसके आसपास उल्लू की कुछ प्रजातियों जैसे जंगल उल्लू, चित्तीदार उल्लू, कालर वाले स्काप्स उल्लू, छोटे कान वाले उल्लू और राक ईगल उल्लू की उपस्थिति से अवगत हैं। लुप्तप्राय मोटल्ड वुड आउल का दिखना अच्छी खबर है। इसे किसी भी नुकसान से बचाने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।