जांच में खेल: ​​​​​दवाएं दफनाने वाले कर्मचारियों पर प्रयागराज का स्वास्थ्य महकमा आखिर मेहरबान क्यों

लाखों रुपये की सरकारी दवा बर्बादी के मामले में आला अधिकारी ही दोषियों को बचाने के सभी हथकंडे अपनाने लगे हैं। तेलियरगंज स्थित सीएमएसडी में जहां गड्ढा खोद कर दवाएं पाटी गईं उसे अंजाम देने वाले कर्मचारी अब भी ठाठ से वहीं ड्यूटी कर रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 19 Aug 2021 10:20 AM (IST) Updated:Thu, 19 Aug 2021 10:20 AM (IST)
जांच में खेल: ​​​​​दवाएं दफनाने वाले कर्मचारियों पर प्रयागराज का स्वास्थ्य महकमा आखिर मेहरबान क्यों
मामला उजागर होने के बाद भी सीएमएसडी में ठाठ से ड्यूटी कर रहे संदिग्ध कर्मचारी

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। भ्रष्टाचार और माफिया राज को जड़ से उखाड़ फेंकने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल प्रयागराज के स्वास्थ्य विभाग पर बेअसर है। लाखों रुपये की सरकारी दवा बर्बादी के मामले में आला अधिकारी ही दोषियों को बचाने के सभी हथकंडे अपनाने लगे हैं। तेलियरगंज स्थित सीएमएसडी में जहां गड्ढा खोद कर दवाएं पाटी गईं, उसे अंजाम देने वाले कर्मचारी अब भी ठाठ से वहीं ड्यूटी कर रहे हैं। सीएमओ ने भी यह कहकर अपनी 'पावर को कठघरे में खड़ा कर दिया कि 'हां, कर्मचारी वहां से नहीं हटाए गए हैं।

माफिया की ताकत के आगे सीएमओ की पावर भी बौनी

दैनिक जागरण ने दवाएं दफनाने का मामला 12 अगस्त के अंक में उजागर किया था। इसके बाद से अब तक स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारी पूरे मामले को पाटने में जुटे हैं। नियमत: किसी मामले की जांच शुरू होने पर वहां के संदिग्ध कर्मचारियों पर प्राथमिक कार्रवाई करते हुए हटा देना चाहिए, ताकि साक्ष्यों से छेड़छाड़ न हो सके लेकिन, दवा बर्बादी के मामले में ऐसा अब तक नहीं हुआ। जबकि सहायक निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं डा. मोहन जी श्रीवास्तव ने प्रारंभिक जांच कराई तो जांच अधिकारियों को वहां आठ बाई आठ फीट का गड्ढा खोदे जाने के साक्ष्य मिले थे। यही रिपोर्ट उन्होंने स्वास्थ्य महानिदेशक को भेज दी है। स्थानीय स्तर पर सीएमओ को ठोस जांच व कार्रवाई के लिए कहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नानक सरन ने कहा कि सहायक निदेशक ने मौखिक रूप से कहा है। लिखित में कुछ नहीं आया। फिर भी जांच करा रहे हैं।

मामले को रफा-दफा करने की कोशिश

एक सप्ताह में कार्रवाई का एक कदम भी आगे न बढ़ पाने से स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। इसके आसार अधिक हैं कि अधीनस्थों को सुरक्षित करने के लिए उच्चाधिकारी ही साठगांठ कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश में हैं। हालांकि दवा बर्बादी से जुड़े एक अधिकारी ने पूरा जोर भी लगा रखा है कि जांच बिना ही मामले का पटाक्षेप हो जाए लेकिन, स्वास्थ्य विभाग में ही हर जुबां पर आए इस भ्रष्टाचार का मामला दबाना अब आसान भी नहीं है।

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