प्रयागराज में वाटर स्पोटर्स की शुरूआत में किसने निभाई अहम भूमिका, कब से शुरू हुई वाटर स्‍पोर्टस प्रतियोगिता

मई माह 1992 में लगभग 20 से अधिक कैनोइंग नावों से यात्रा निकाली गई थी जिसमें विभिन्न जिलों से आए 30 से अधिक खिलाडिय़ों ने प्रतिभाग किया था। यात्रा विंध्याचल मीरजापुर चुनार होते हुए वाराणसी के दशाश्वमेध घाट तक गई थी।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 05:06 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 05:06 PM (IST)
प्रयागराज में वाटर स्पोटर्स की शुरूआत में किसने निभाई अहम भूमिका, कब से शुरू हुई वाटर स्‍पोर्टस प्रतियोगिता
मई माह 1992 में लगभग 20 से अधिक कैनोइंग नावों से यात्रा निकाली गई थी।

प्रयागराज, जेएनएन। संगम नगरी में एथलेटिक्स, क्रिकेट, वॉलीबाल, खोखो, बैडमिंटन, फुटबाल, हैंडबाल, टेनिस, टेबिल टेनिस व हॉकी जैसे आउट डोर और इनडोर गेम्स तो काफी समय से हो रहे थे लेकिन वाटर गेम्स के नाम शहर के इक्का-दुक्का तरण तालों में स्वीमिंग ही होती थी। सन् 1992 में यहां से एक नौका अभियान निकाला गया था जिसके बाद ही प्रयागराज में वाटर स्पोट्र्स की शुरूआत हुई थी।

पर्यटन विभाग ने शुरू किया था अभिनव नौका अभियान

उत्तर प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने प्रदेश में विभिन्न खेलों के विकास का निर्णय लिया था। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में वाटर स्पोट्र्स को शुरू करने का मंसूबा भी बनाया गया था। संभावना तलाशने को पर्यटन मंत्री रहे केदार सिंह फोनिया ने अभिनव नौका अभियान शुरू करने को कहा। उनके निर्देश पर मई माह 1992 में लगभग 20 से अधिक कैनोइंग नावों से यात्रा निकाली गई थी जिसमें विभिन्न जिलों से आए 30 से अधिक खिलाडिय़ों ने प्रतिभाग किया था। यात्रा विंध्याचल, मीरजापुर, चुनार होते हुए वाराणसी के दशाश्वमेध घाट तक गई थी। फोनिया भी बड़ी नाव से वाराणसी तक गए थे।

किला घाट से शुरू होकर नौका यात्रा पहुंची थी वाराणसी तक

अभिनव नौका अभियान की शुरूआत प्रयागराज में अकबर के किले के पास से यमुना नदी के किला घाट से हुई थी। पर्यटन मंत्री केदार सिंह फोनिया ने झंडा दिखाकर सेलर्स को रवाना किया था और खुद भी बड़ी नाव से वाराणसी तक गए थे। पर्यटन विभाग से 2015 तक जुड़े रहे व्रतशील शर्मा बताते हैं कि दरअसल यह प्रयागराज में जलक्रीड़ा की संभावनाओं की तलाश थी। इसी के कुछ समय बाद प्रयागराज में गंगा वाटर रैली की शुरूआत हुई फिर वाटर स्पोट्र्स होने लगा।

अभियान में सहायक निदेशक पर्यटन की थी महत्वपूर्ण भूमिका

अभिनव नौका अभियान का जिम्मा उस समय वाराणसी में पर्यटन विभाग के तत्कालीन सहायक निदेशक प्रदीप कुमार सिंह को दी गई थी। प्रदीप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़े थे। ताराचंद हॉस्टल में रहते थे व सोशल सेक्रेटरी भी थे। इसलिए उनका यहां से गहरा लगाव था जिसके चलते गंगा व यमुना में वाटर स्पोट्र्स की संभावनाओं को तलाशने में विशेष रुचि दिखाई थी। उन्होंने स्थानीय जिला प्रशासन, विकास प्राधिकरण, क्रीड़ा विभाग और राष्ट्रीय कैनोइंग और क्याकिंग एसोसिएशन की मदद से अभियान को बखूबी अंजाम दिया था जिससे प्रयागराज में जलक्रीड़ा की राह खुली। 2018 में वे सेवानिवृत्त हो गए थे। दो मार्च 2021 को उनका निधन भी हो गया।

इंग्लैंड से आए थे वाटर स्पोट्र्स के विशेषज्ञ कोलिन ब्राडवे

अभिनव नौका अभियान की शुरूआत पर इंग्लैंड से वाटर स्पोट्र्स के विशेषज्ञ कोलिन ब्राडवे को भी आमंत्रित किया गया था। वह भी नाव से वाराणसी तक गए थे। इस अवसर पर उन्होंने गंगा के इस जलमार्ग को वाटर स्पोट्र्स के लिए आदर्श जलधारा बताते हुए कहा था कि इसको वाटर स्पोट्र्स के लिए विकसित किया जाना चाहिए जिसके बाद यहां पर गंगा वाटर रैली की शुरूआत की गई फिर वाटर स्पोट्र्स फेस्टिवल के रूप में संचालित की जाती रही। हालांकि कुछ सालों के बाद विभागों में तालमेल के अभाव में यह मृतप्राय सा हो गया।

chat bot
आपका साथी