ICCC से होगी प्रयागराज में पानी सप्लाई की निगरानी, ऐसे में रोकी जा सकेगी बूंद-बूंद जल की बर्बादी

जलकल विभाग द्वारा शहर में होने वाली सप्लाई की व्यवस्था में फिलहाल असमानता है। इससे किसी क्षेत्र में पानी की आपूर्ति ज्यादा और किसी में कम होती है। खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में पानी की समस्या रहती है। विभाग के पास जल आपूर्ति का वास्तविक आंकड़ा भी नहीं होता है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 07 Jul 2021 03:42 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 03:42 PM (IST)
ICCC से होगी प्रयागराज में पानी सप्लाई की निगरानी, ऐसे में रोकी जा सकेगी बूंद-बूंद जल की बर्बादी
सभी नलकूपों में लगेंगे स्काडा, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत होंगे काम, निकाला गया टेंडर

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर की जलापूॢत व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कवायद चल रही है। इसके लिए सभी नलकूपों, ओवरहेड टैंकों (ओएचटी), भूमिगत जलाशयों और खुसरोबाग में वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों को आपस में जोड़ा जाएगा। टेंडर निकाला जा चुका है और टेंडर फाइनल होने के बाद कनेक्टिविटी का काम शुरू हो जाएगा। वहीं, जलापूॢत व्यवस्था की आनलाइन निगरानी इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आइट्रिपलसी) से होगी।

जल आपूर्ति व्यवस्था बेहतर करने की कवायद

जलकल विभाग द्वारा शहर में की जाने वाली पानी सप्लाई की व्यवस्था में फिलहाल असमानता है। इससे किसी क्षेत्र में पानी की आपूर्ति ज्यादा और किसी में कम होती है। खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में पानी की समस्या रहती है। विभाग के पास जल आपूर्ति का वास्तविक आंकड़ा भी नहीं होता है। नियमानुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन में 135 लीटर पानी मुहैया कराने का मानक है। इसलिए इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए नलकूपों, ओवरहेड टैंक और भूमिगत जलाशयों को स्काडा (सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्यूजिशन) से जोड़ा जाएगा। बता दें कि 280 में से 185 बड़े नलकूपों में पहले से स्काडा लगा है। बाकी 95 नलकूपों, 47 ओएचटी और 10 भूमिगत जलाशयों में स्काडा अब लगेगा।

यह होंगे फायदे

-निर्धारित समय पर पानी की जलापूॢत स्वत: होने लगेगी।

-कहीं फाल्ट होने पर तत्काल अफसरों को जानकारी हो सकेगी।

-किसी नलकूप के खराब होने पर दूसरे से जलापूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।

-रियलटाइम मॉनीटरिंग हो सकेगी।

स्काडा से कनेक्टिविटी होने पर जल सप्लाई व्यवस्था में सुधार होगा। आनलाइन निगरानी से फाल्ट का तत्काल पता चल जाएगा, शीघ्र उसे दूर कराया जाएगा। हर चीजों की वास्तविक स्थिति की भी जानकारी हो सकेगी।

-सौरभ श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता मुख्यालय जलकल विभाग।

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