Water Conservation: प्रयागराज में बीच शहर स्थित यह कुआं, यहां घरों में नहीं है नल का कनेक्शन
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह कुआं लगभग सौ साल से ज्यादा पुराना है। इसमें कभी पानी की कमी नहीं हुई। मोहल्ले के जयबाबू गुप्ता बताते हैं कि कुआं कमलेश चौरसिया के मकान के ठीक सामने होने के कारण वह और उनकी पत्नी ममता चौरसिया इसकी सफाई करती हैं।
प्रयागराज,[राजकुमार श्रीवास्तव]। आमतौर पर शहर में अब कुएं देखने को नहीं मिलते। तमाम कुएं इतिहास बन गए, फिर भी पुराने शहर के बहादुरगंज वार्ड के एक मोहल्ले में ज्यादातर लोगों की प्यास आज भी कुआं बुझा रहा है। पक्का बने इस कुएं को स्थानीय नागरिकों ने सुरक्षित और संरक्षित भी किया है। उसमें मोटर लगवाई गई है और उससे घरों में पानी की आपूर्ति भी होती है। कुएं की सफाई और निगरानी भी मोहल्ले के लोग ही करते हैं। दिलचस्प यह है कि यहां नलों का कनेक्शन नहीं है। मगर, लोगों से जलकर वसूला जाता है।
ढाई सौ घरों में होती पानी की आपूर्ति
बहादुरगंज के ठाकुरदीन का हाता में एक बड़ा सार्वजनिक कुआं है। इस कुएं से आसपास के करीब दो-ढाई सौ घरों में पानी की आपूर्ति होती है। रस्सी से पानी भरने के लिए कुएं में लोहे की गड़ारी भी लगी है। हालांकि, सप्लाई मोटर से ही होती है। कुएं में कोई न गिर सके, इसके भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पानी भरने की जगह छोड़कर बाकी हिस्से में जाली लगा दी गई है।
लगभग सौ साल पुराना है कुआं, कभी नहीं हुई पानी की कमी
स्थानीय नागरिकों का यह भी दावा है कि यह कुआं लगभग सौ साल से ज्यादा पुराना है और इसमें कभी पानी की कमी नहीं हुई। मोहल्ले के जयबाबू गुप्ता बताते हैं कि कुआं कमलेश चौरसिया के मकान के ठीक सामने होने के कारण वह और उनकी पत्नी ममता चौरसिया इसकी सफाई करती हैं। समय-समय पर कुएं में ब्लीचिंग पाउडर भी डाला जाता है। छोटे पंडित, रमेश अग्रवाल आदि भी कुएं की पूरी निगरानी रखते हैं। वह बताते हैं कि जलकल विभाग की सप्लाई न होने के बावजूद जलकर देना पड़ता है। जलकल विभाग के महाप्रबंधक हरिश्चंद्र बाल्मीकि का कहना है कि किसी क्षेत्र के सौ मीटर के दायरे में पाइप लाइन गई है तो लोगों को जलकर देना पड़ता है। महापौर अभिलाषा गुप्ता ने बताया कि जलकर और सीवरकर भी गृहकर की तरह टैक्स है, जिसे सभी को देना पड़ता है। जलकल द्वारा पानी की सप्लाई मोहल्ले में नहीं होती है इसलिए लोगों से जलमूल्य नहीं लिया जाता है।