गंगा की रेत में अब नहीं उगता 'सोना', इसका कारण हम और आप ही हैं Prayagraj News
प्रयागराज से लेकर कौशांबी फतेहपुर जिलों में गंगा किनारे की रेती पहले बहुत उपजाऊ थी। यहां हर साल गंगा किनारे के किसान गर्मियों में बड़े पैमाने पर खेती कर अच्छी कमाई करते थे।
प्रयागराज, [प्रमोद यादव]। गंगा की रेती में अब वह बात नहीं। कभी इस रेत में की गई मौसमी खेती काश्तकारों को मालामाल कर देती थी। वहीं अब लागत निकालने में ही उनका चेहरा पीला पड़ता जा रहा है। इस स्थिति के लिए कोई दूसरा नहीं, बल्कि हम और आप ही जिम्मेदार हैैं। कृषि शोध बताते हैैं कि गंगा में बहाए जा रहे शहरों के गंदे पानी के चलते रेती प्रदूषित हो गई है। प्रदूषण के चलते रेती पर बोई गई फसल में उस्टीलागो ट्रीटकी वायरस और कीड़े लग जा रहे हैैं।
रेती उपजाऊ होने के कारण खर्च कम और आमदनी अधिक थी
प्रयागराज से लेकर कौशांबी, फतेहपुर आदि जिलों में गंगा किनारे की रेती पहले बहुत उपजाऊ थी। यहां हर साल गंगा किनारे के किसान गर्मियों में बड़े पैमाने पर खेती कर इसमें खीरा, ककड़ी, तरबूज, कद्दू, लौकी आदि का उत्पादन करते थे। इसकी बिक्री कर वह हर साल अच्छी कमाई करते थे। रेती उपजाऊ होने के कारण किसानों का खर्च कम और आमदनी ज्यादा होती थी। वहीं रेती प्रदूषित होने के कारण पिछले तीन-चार साल से इन फसलों पर संकट मंडरा रहा है। रेती पर पैदा हुआ तरबूज कई राज्यों में सप्लाई होता था लेकिन अब वह कम हो गया है।
क्यों फैल रहा उस्टीलागो ट्रीटकी वायरस
कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अजय सिंह बताते हैैं कि गंगा में जिस तरह से शहरों का गंदा पानी और फैक्ट्रियों की गंदगी बहाई जा रही है, उससे जल के साथ गंगा की रेती भी प्रदूषित हो गई है। अब पहले जैसी रेत भी सफेद नहीं रह गई है। इसके प्रदूषित होने से वहां होने वाली फसल में भी रोग लग रहा है। पिछले तीन चार साल से लग रहे रोग की जांच की गई तो उस्टीलागो ट्रीटकी वायरस सामने आया। रेती पर लगी फसल में फल आने पर यह वायरस और कई तरह के कीड़े सक्रिय हो जाते हैैं। अभी इसका कोई इलाज नहीं है। इतना जरूर है कि बीजों को शोधित करके ही बोएं।
किसान का यह कहना है
फाफामऊ के किसान रविंद्र, सनी, हब्बू, सुरेंद्र आदि ने बताया कि वह कई पीढिय़ों से गंगा की रेत पर ककड़ी, खीरा, तरबूज, कद्दू, लौकी आदि की खेती करते आ रहे हैं। यहां कुछ महीने की खेती में अच्छी कमाई करते थे। वहीं पिछले तीन चार साल से इसमें ऐसी बीमारी लग रही है कि फसल ही खराब हो जा रही है। इस बार बुआई तो किए हैैं लेकिन डर है फसल में रोग न लग जाए।