Village of Prayagraj : यहां पैदल ही गर्भवती को लेकर मुख्य सड़क तक जाती हैं महिलाएं

Village of Prayagraj एक तरफ सरकार प्रत्येक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने को लेकर कवायद कर रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज जिले के नवाबगंज के फूलपुर उर्फ छोटा जगापुर गांव में आजादी के सात दशक बाद भी पक्‍की सड़क नहीं मिल सकी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 02:40 PM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 02:40 PM (IST)
Village of Prayagraj : यहां पैदल ही गर्भवती को लेकर मुख्य सड़क तक जाती हैं महिलाएं
प्रयागराज में नवाबगंज स्थित फूलपुर उर्फ जगापुर गांव में गर्भवती महिलाओं को पक्‍का मार्ग न होने से दिक्‍कत होती है।

जेएनएन, प्रयागराज। प्रयागराज के इस गांव की महिलाएं गर्भवती को लेकर पैदल ही मुख्‍य मार्ग तक जाती हैं। चाहे गर्भवती को कितनी ही पीड़ा हो, पर ऐसा करना पड़ता है। यह कोई परंपरा नहीं, बल्कि मजबूरी है। जी हां हम यहां बात कर रहे हैं नवाबगंज के फूलपुर उर्फ छोटा जगापुर की। यह गांव समस्‍याओं के मकड़जाल में फंसा हुआ है। यहां के लोग बेबस हैं, शिकायत तो करते हैं लेकिन होता कुछ नहीं।

ग्रामीणों के समक्ष यह है मजबूरी

एक तरफ सरकार प्रत्येक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने को लेकर कवायद कर रही है। वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज जिले के नवाबगंज के फूलपुर उर्फ छोटा जगापुर गांव में आजादी के सात दशक बाद भी पक्‍की सड़क नहीं मिल सकी। इस गांव में ग्रामीण मुख्य सड़क तक जाने के लिए पैदल लगभग पौने दो किलोमीटर तक पगडंडी के सहारे आते हैं। गांव के लोग कहते हैं अस्सी नब्बे वर्ष पुराने इस गांव में आज तक सड़क नहीं बन पाया है। इधर गांव की महिलाओं को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बरसात में होती है काफी फजीहत
गांव के लोगों का कहना है कि आम दिनों में तो गांव के लोग किसी तरह मुख्य सड़क तक पैदल चले ही आते हैं मगर बरसात के दिनों में मुश्किल काफी बढ़ जाती है। खासकर उस वक्त जब कोई बीमार पड़ जाए तो कांधे पर लेकर दो किलोमीटर मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है।

टल जाती है बेटियों की शादी
सड़क की समस्या इस कदर है कि गांव की बेटियों की शादी भी होने में दिक्कत होती है। वजह यह है कि गांव में प्रवेश करने के लिए कोई मार्ग नहीं है। गांव के लोग कहते हैं यदि जल्द सड़क नहीं बनी तो वह खुद चंदा जुटाकर सड़क अब बनवाएंगे। इसके बाद किसी भी जनप्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।


चुनाव के वक्त मिलता है सिर्फ आश्वासन
बहरहाल देखना ये है कि आजादी के बाद आज तक एक अदद सड़क के लिए मरहूम यह गांव और कितने दिनों तक एक सड़क के लिए सरकार और जन प्रतिनिधियों की तरफ टकटकी लगाए बैठते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि इस गांव की आबादी करीब 3500 है। चुनाव के वक्त उन्हें आश्वासन तो बहुत मिलता है लेकिन बाद में नतीजा वही ढाक के तीन पात।

चुनाव में वोट न देने का लिया निर्णय
इस गांव के अनिल पांडेय, कामता प्रसाद पांडेय, शिवशंकर पांडेय, राजेंद्र किशोर पांडेय और शेषनाथ त्रिपाठी कहते हैं कि ग्रामीणों में इस समस्या का निदान न होने से नाराजगी है। नाराजगी इस कदर है कि इस बार गांव के लोगों ने आगामी चुनाव में अपने मतों का प्रयोग न करने तक का निर्णय ले लिया है।

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