Nagaland University के कुलपति बोले- हमारा तंत्रिका तंत्र पानी के बिना थोड़ी देर भी काम नहीं कर सकता
नागालैंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परदेसी लाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वेबिनार में जल संरक्षण पर विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि आज नागालैंड में जहां रिकार्ड बारिश हुआ करती थी वहां का भी मौसम उत्तर भारत की तरह होता जा रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। वैज्ञानिकों का मानना है कि नदियां सूखने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं। इसलिए अब एक ही नारा हमें बचा सकता है। वह नारा है 'हर-हर गंगे, घर-घर गंगे'। यही मिशन के रूप में अपनाया जाना चाहिए। यह विचार नागालैंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परदेसी लाल के हैं। उन्होंने कहा कि हमारा नर्वस सिस्टम जल के बिना थोड़ी देर भी काम नहीं कर सकता। वह समय आने वाला है जब हममें से प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में वर्ष भर के जल का संचय करके रखना पड़ेगा और यह हमारे आसपास के प्राकृतिक जल से ही होना होगा। प्रत्येक व्यक्ति को ऐसा करना पड़ेगा।
जल संरक्षण व संवर्धन के प्रति उदासीता : प्रो. परदेसी लाल
नागालैंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परदेसी लाल इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित वेबिनार में जल संरक्षण पर विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि आज नागालैंड में जहां रिकार्ड बारिश हुआ करती थी, वहां का भी मौसम उत्तर भारत की तरह होता जा रहा है। जहां पर पानी की अधिकता होनी चाहिए, वहां सूखा पड़ा है। और जहां सूखे की स्थिति आनी चाहिए, वहां बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गई है। इन सब असंतुलनों का कारण जल के संरक्षण और संवर्धन के प्रति हमारी उदासीनता की प्रवृत्ति है।
जल के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता : डा. राजेश
डा. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि वर्तमान में जल आंदोलन को जन आंदोलन बनाने की आवश्यकता है। हम सबकी सहभागिता के बगैर यह कदापि संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि समाज के प्रज्ञावान व्यक्ति होने के नाते हम लोगों को अपनी भूमिका का निर्वहन सामाजिक प्रेरणा के रूप में करना शुरू कर देना चाहिए। बोले कि आज जल संरक्षण का विषय है, संवर्धन का विषय है, संचयन का विषय है। वर्षा के जल को नदियों के माध्यम से समुद्र में चले जाने देना उसे निस्प्रयोज्य बनाना है। इसकी चिंता हमें करनी होगी। कार्यक्रम में सदनलाल सावलदास खन्ना महिला महाविद्यालय की डा. रुचि मालवीय ने भी विचार रखे।