गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के कुलपति बोले- नई शिक्षा नीति में डिजिटल साक्षरता का प्रसार हो
गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि नई नीति में बहुभाषिकता सहयोग की क्षमता और समस्याओं के समाधान की बात है। सामाजिक साझेदारी और डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ाना है। इसके लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य तय किया गया था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय उत्तराखंड के कुलपति प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि कोरोना काल में पुरी दुनिया पीछे चली गई। हमने अपने प्रयासों से खोया कम हासिल ज्यादा किया। नई शिक्षा नीति के तहत डिजिटल साक्षरता का प्रसार करना है। इस कोरोना काल में पूरे देश ने इसमें अच्छा प्रदर्शन किया। वे प्रयागराज में आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एनएसएस का वेबिनार
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएएस) की ओर से 'नई शिक्षा नीति : समावेशी शिक्षा नीति' पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में प्रोफेसर रूप किशोर शास्त्री ने कहा कि नई नीति में बहुभाषिकता, सहयोग की क्षमता और समस्याओं के समाधान की बात है। सामाजिक साझेदारी और डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ाना है। इसके लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य तय किया गया था। उत्साहजनक है कि डिटिलाइजेशन के क्षेत्र में हमने बहुत पहले ही लक्ष्य हासिल कर लिया। वास्तव में कोरोना काल को हमने अवसर में बदला।
नई शिक्षा नीति रिसर्च इनोवेशन को ध्यान में रखने वाली नीति : डा. राजेश
वेबीनार के आयोजक राष्ट्रीय सेवा योजना, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के समन्वयक डा. राजेश कुमार गर्ग ने कहा की नई शिक्षा नीति रिसर्च इनोवेशन को ध्यान में रखकर चलने वाली नीति है। नेशनल एजुकेशनल टेक्नालाजी फोरम हो या नेशनल रिसर्च फाउंडेशन इन सब की सहायता से यह शिक्षा नीति मनुष्य निर्माण के साथ साथ कुशल छात्रों और नागरिकों के निर्माण की नीति है। मंच संचालन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन ईश्वर शरण महाविद्यालय के कामर्स विभाग के डॉक्टर शिवजी वर्मा ने किया।
906 अभ्यर्थियों ने कराया नामांकन
वेबीनार में नामांकन के लिए देश के 25 राज्यों से कुल 906 आवेदन आए। इसमें 519 पुरुष व 387 महिलाएं शामिल रहीं। वेबीनार में प्रतिभागिता के लिए नामांकन करने वालों में 646 विद्यार्थी 183 प्राध्यापक और 77 शोध छात्र शामिल रहे। भारत के बाहर अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और नेपाल से भी नामांकन अनुरोध प्राप्त हुए।