बीडीओ भर्ती की आस अधूरी, 2018 के बाद से नहीं निकली भर्ती, सैकड़ों पद खाली

उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग में खंड विकास अधिकारी के कुल 851 पद हैं। इसमें 460 पद खाली हैं। लोकसेवा आयोग ने 2018 के बाद उक्त पद की भर्ती नहीं निकाली। ग्राम्य विकास विभाग उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को प्रतिवर्ष बमुश्किल चार से छह पदों का अधियाचन भेजता है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 04:02 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 07:14 PM (IST)
बीडीओ भर्ती की आस अधूरी, 2018 के बाद से नहीं निकली भर्ती, सैकड़ों पद खाली
अधिकारियों का गैरजिम्मेदाराना रवैया है कि प्रदेश में बीडीओ के लगभग साढ़े चार सौ पद खाली हैं

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। इसे अधिकारियों की उदासीनता कहें या गैरजिम्मेदाराना रवैया कि प्रदेश में खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) के लगभग साढ़े चार सौ पद खाली हैं, लेकिन उसे भरने की कवायद नहीं हो रही है। प्रतियोगी भर्ती निकालने की मांग कर रहे हैं, लेकिन ग्राम्य विकास विभाग मौन साधे है। इससे प्रतियोगी छात्रों की सरकारी नौकरी पाने के मंसूबों पर पानी फिर रहा है। वहीं, कुछ बीडीओ के जिम्मे कई ब्लाक की जिम्मेदारी है। इससे उनके ऊपर काम का बोझ ज्यादा है, जिससे क्षेत्र का विकास भी प्रभावित हो रहा है। 

लखनऊ में बैठे अधिकारी बीडीओ की भर्ती में अड़ंगा डाल रहे

उत्तर प्रदेश के ग्राम्य विकास विभाग में खंड विकास अधिकारी के कुल 851 पद हैं। इसमें 460 पद खाली हैं। लोकसेवा आयोग ने 2018 के बाद उक्त पद की भर्ती नहीं निकाली। ग्राम्य विकास विभाग उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को प्रतिवर्ष बमुश्किल चार से छह पदों का अधियाचन भेजता है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि लखनऊ में बैठे अधिकारी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए बीडीओ की भर्ती में अड़ंगा डाल रहे हैं। खाली पद होने के बावजूद भर्ती कराने के लिए अधियाचन नहीं भेजा जा रहा है।

सरकारी काम हो रहा बाधित तो बेरोजगार भी हो रहे हैं निराश

तकरीबन आधे पदों के बराबर कमी के चलते कुछ बीडीओ को तीन से चार ब्लाक की जिम्मेदारी दी गई है। इस वजह से सरकारी काम भी बाधित हो रहा है तो दूसरी ओर बेरोजगार प्रतियोगी छात्रों को नौकरी नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान इस ओर आकर्षित कराने के लिए बीते दिनों पत्र लिखकर बीडीओ की भर्ती निकलवाने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऐसे में लगता है कि अधिकारी ही जानबूझकर भर्ती रोके हुए हैं। इस बारे में मुख्यमंत्री को युवाओं के हित में जल्द ही फैसला लेना चाहिए।

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