UPPSC: एफआइआर वापस नहीं होने पर सड़क पर उतरेंगे प्रतियोगी छात्र, भाजपा को याद दिला रहे चुनावी वायदे

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय बताते हैं कि तत्कालीन प्रशासन ने 100 से अधिक मुकदमे दर्ज कराए थे। आंदोलन में हिस्सा लेने पर उनके खिलाफ भी मुकदमा हुआ था। कर्नलगंज सिविल लाइंस और जार्जटाउन थाने में रिपोर्ट लिख 260 प्रतियोगी छात्रों को जेल भेजा गया था।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 04:44 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 04:44 PM (IST)
UPPSC: एफआइआर वापस नहीं होने पर सड़क पर उतरेंगे प्रतियोगी छात्र, भाजपा को याद दिला रहे  चुनावी वायदे
प्रतियोगी आहत हैं और एफआइआर वापस होने पर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं

प्रयागराज, राज्य ब्यूरो। पेपर लीक, नंबरों में हेराफेरी और कापी बदलने जैसे कई आरोपों के साथ प्रतियोगी छात्र वर्ष 2013 से 2015 तक आंदोलनरत थे। उनके निशाने पर उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग व तत्कालीन राज्य सरकार की कार्यप्रणाली थी। तब आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रतियोगियों के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई थी। उस समय भाजपा नेता प्रतियोगियों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे। प्रदेश में सरकार बनने पर एफआइआर वापस कराने का भरोसा दिया गया था, लेकिन वैसा किया नहीं। इससे प्रतियोगी आहत हैं और एफआइआर वापस कराने की मांग कर रहे हैं। ऐसा न होने पर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं।

दो साल में 44 बार प्रतियोगी छात्रों पर लाठियां भांजी

आयोग के खिलाफ आंदोलन करने पर 10 जुलाई, 2013 से 20 सितंबर, 2015 के बीच 44 बार प्रतियोगी छात्रों पर लाठीचार्ज हुआ। तीन बार पुलिस ने गोली चलाई। इसमें कई प्रतियोगियों को पांच हजार रुपये का इनामी घोषित किया गया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय बताते हैं कि तत्कालीन प्रशासन ने 100 से अधिक मुकदमे दर्ज कराए थे। आंदोलन में हिस्सा लेने पर उनके खिलाफ भी मुकदमा हुआ था। कर्नलगंज, सिविल लाइंस और जार्जटाउन थाने में रिपोर्ट दर्ज करके लगभग 260 प्रतियोगी छात्रों को जेल भेजा गया था। उस समय भाजपा नेताओं ने सरकार बनने पर एफआइआर वापस लेने का भरोसा दिया था, लेकिन इसके अनुरूप कार्रवाई नहीं हुई। प्रतियोगी बताते हैैं कि एफआइआर वापस कराने के लिए वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एके शर्मा, मुख्य सचिव तथा अन्य अधिकारियों को पत्र लिखने के साथ व्यक्तिगत मुलाकात करके उचित कार्यवाही की मांग कर चुके हैैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है।

यूपीपीएससी के खिलाफ चले आंदोलन

-10 जुलाई, 2013 को पीसीएस 2011 मुख्य परीक्षा परिणाम में त्रिस्तरीय आरक्षण लागू करने के विरुद्ध पहला आंदोलन हुआ, जो एक माह चला। कई बार पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

- दूसरा बड़ा आंदोलन दिसंबर, 2014 में लोअर 2008 की मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी होने पर हुआ। यह भी लगभग एक माह चला। इसमें आंदोलनकारियों का पोस्टर जारी कर उनके ऊपर पांच हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया।

- तीसरा बड़ा आंदोलन मार्च, 2015 में पीसीएस 2015 का पेपर लीक होने पर हुआ। आंदोलनकारियों पर 7-क्रिमिनल एमेंडमेंट एक्ट सहित 307 व अन्य धाराओं में मुकदमे हुए।

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