यूपी विधान सभा चुनाव 2022: वीआइपी की सक्रियता से राजनीतिक गलियारे में हलचल बढ़ी, वोट कटने का डर
UP Vidhan Sabha Chunav 2022 विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और बिहार सरकार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने साफ कह दिया है कि वह निषाद समुदाय के अनुसूचित जाति के आरक्षण दिलाने से कम कुछ भी नहीं मानेंगे।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) की सक्रियता बढ़ने से राजनीतिक गलियारें में हलचल बढ़ गई है। बड़े दल के नेता अपने भाषणों में भले ही इसे महत्व नहीं दे रहे हैं लेकिन वोट कटने का डर तो उन्हें सता ही रहा है। कहीं न कहीं वह मानते हैं कि कुछ जाति वर्ग के वोट प्रभावित हो सकते हैं। इस स्थिति को सभी राजनीतिक दल टालना चाहते हैं। भाजपा साफ तौर पर अभी न तो गठबंधन की बात कह रही है और न किनारा कर रही है। इसी तरह सपा और बसपा भी कुछ नहीं कर रही हैं।
वीआइपी के संस्थापक ने स्पष्ट रूप से कहा था
उधर विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और बिहार सरकार के पशुधन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने साफ कह दिया है कि वह निषाद समुदाय के अनुसूचित जाति के आरक्षण दिलाने से कम कुछ भी नहीं मानेंगे। प्रयागराज प्रवास के दौरान उन्होंने कहा कि आरक्षण देने की स्थिति भाजपा के हाथ में है। भाजपा चुनाव पूर्व अनुसूचित जाति आरक्षण का शासनादेश जारी करा दे तो बिना शर्त भाजपा का समर्थन करेंगे। यह भी कहा कि सपा, बसपा... के वादे पर तो विश्वास किया जा सकता है, भाजपा के वादे पर अब विश्वास नहीं करेंगे। इसकी वजह यह कि भाजपा सरकार में है। अन्य दल विपक्ष में हैं तो वह अभी सिर्फ वादा ही कर सकते हैं।
बाेले, आरक्षण नहीं तो सहयोग व समर्थन नहीं
उन्होंने हवाला दिया कि भाजपा सरकार ने 48 घंटे में सामान्य वर्ग को उच्चतम न्यायालय व संविधान से परे जाकर संविधान संशोधन कर ईडब्ल्यूएस के नाम से 10 प्रतिशत आरक्षण दे दिया तो निषाद समाज से किया गया वादा पूरा करने में देरी क्यों। श्रीराम-निषादराज की मित्रता के नाम पर अब निषाद समाज किसी भुलावे व झांसे में नहीं आएगा। आरक्षण नहीं तो सहयोग व समर्थन नहीं। अभी नहीं तो कभी नहीं कि बात करते हुए कहा कि राज्य व केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार होने के बाद भी भाजपा सरकार ने निषाद जातियों को एससी का आरक्षण व परम्परागत पेशा बहाली का शासनादेश व राजपत्र जारी नहीं किया तो फिर वादे पर विश्वास नहीं किया जा सकता।