मुश्किल दौर में और बढ़ा रहे मुसीबत, प्रयागराज में निजी स्कूल संचालक बना रहे फीस भरने का दबाव

2020 में स्कूल प्रबंधन एक-एक महीने की फीस ले रहे थे। वर्तमान सत्र में ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि कुछ दूर दराज के स्कूल सहूलियत दे रहे हैं लेकिन शहरी क्षेत्र के आईसीएसई और सीबीएसई से जुड़े कई स्कूल तीन महीने की फीस जमा करने दबाव दे रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:26 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:26 PM (IST)
मुश्किल दौर में और बढ़ा रहे मुसीबत, प्रयागराज में निजी स्कूल संचालक बना रहे फीस भरने का दबाव
कोरोना संक्रमण काल में फीस कम करने के बजाय बढ़ा दी गई प्रयागराज में

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी से लोग जूझ रहे हैं फिर भी निजी स्कूल अपनी मनमानी पर उतारू हैं। अभिभावकों के लिए आर्थिक मुश्किल खड़ी कर रहे हैं। विद्यार्थियों से तीन महीने की एक मुश्त फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। न देने पर नाम काटने की भी नोटिस दी जा रही है। इससे मुश्किल दौर में लोगों की मुसीबत और बढ़ती जा रही है।

तमाम लोगों का छिना रोजगार, फीस भरने का है संकट

अभिभावकों का कहना है कि 2020 में कोरोना संक्रमण के समय सरकार के दबाव में स्कूल प्रबंधन एक-एक महीने की फीस ले रहे थे। वर्तमान सत्र में ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि कुछ दूर दराज के स्कूल सहूलियत दे रहे हैं लेकिन शहरी क्षेत्र के आईसीएसई और सीबीएसई से जुड़े कई बड़े स्कूलों ने अभिभावकों पर तीन महीने की फीस जमा करने दबाव बनाया है। अभिभावकों का कहना है कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने पिछले दिनों इस संबंध में स्कूलों के लिए दिशानिर्देश देने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे लगता है कि डीआइओएस भी स्कूलों के दबाव में हैं। व्यापारी नेता प्रमिल केसरवानी कहते हैं कि फीस आधी की जाए और एक-एक महीने ही ली जानी चाहिए। जिला प्रशासन को निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने चाहिए। स्कूलों पर भी महामारी अधिनियम के तहत कार्ऱवाई हो।

काम धंधा ठप पर फीस का बोझ बरकरार
महामारी के दौरान बहुत से लोगों की नौकरी छूट गई और काम धंधे भी ठप हो गए हैं। ऐसे में बच्चों की स्कूल की फीस का बोझ वह कैसे उठाएं। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। एरिया सेल्स मैनेजर वेलफेयर एसोसिएशन इलाहाबाद की वर्चुअल बैठक में फीस कम करने की मांग की गई। सचिव संजय द्विवेदी ने कहा कि हमने इस महामारी में अपने बहुत से साथी खो दिए। लोगों ने नौकरियां गंवा दीं या वेतन में कटौती हो गई। ऐसे में निजी स्कूलों को भी कुछ सोचना चाहिए। आखिर ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। वर्चुअल बैठक में नरेंद्र आहूजा, शैलेंद्र सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, विनोद चौरसिया, चेतन नारंग, राजेश चौधरी, मुकेश मिश्रा, आशुतोष श्रीवास्तव, आलोक राय, अनुपम पांडेय, देश गौरव, हर्ष परिहार आदि शामिल हुए।

शिक्षकों को नहीं मिल रहा वेतन
निजी स्कूल में जो शिक्षक पढ़ा रहे हैं, उनको भी वेतन नहीं मिल रहा है। जिनको वेतन मिल रहा है, उनमें कटौती भी कर दी गई है। इस संकट काल में स्कूल मैनेजमेंट अपने हिस्से में कटौती नहीं कर रहा है। फीस कम आने पर शिक्षकों का वेतन काट दिया गया है। इससे शिक्षक भी परेशान हैं।

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