'फारूकी मिलते तो लोग कहते थे हिदी-उर्दू गले मिल रही'

जासं प्रयागराज उर्दू अदब के मशहूर कथाकार कवि और आलोचक शम्सुर्रहमान फारूकी के निधन पर म

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 05:33 AM (IST) Updated:Sun, 27 Dec 2020 05:33 AM (IST)
'फारूकी मिलते तो लोग कहते थे हिदी-उर्दू गले मिल रही'
'फारूकी मिलते तो लोग कहते थे हिदी-उर्दू गले मिल रही'

जासं, प्रयागराज : उर्दू अदब के मशहूर कथाकार, कवि और आलोचक शम्सुर्रहमान फारूकी के निधन पर मीरा फाउंडेशन ने शनिवार को श्रद्धांजलि बैठक की। इस मौके पर प्रोफेसर राजेंद्र कुमार ने कहा कि फारूकी साहब ने उन्हें छोटे भाई जैसा स्नेह दिया। उन्होंने बताया कि जब मैं उनसे मिलता था वह हमें गले लगा लेते थे। इसे देखकर लोग कहते थे, यह देखिए उर्दू और हिंदी गले मिल रही है। बैठक की अध्यक्षता मीरा फाउंडेशन के अध्यक्ष विभोर अग्रवाल ने की।

प्रसिद्ध आलोचक प्रोफेसर संतोष भदौरिया ने कहा कि उर्दू अदब का शख्स यानी सूरज ढल गया। उनकी शख्सियत के तमाम पहलू हैं। उनका स्नेह और सरपरस्ती मुझे कई मौके पर मिली। कहा कि हमारा शहर अदब की दुनिया में गरीब हुआ है। मैं उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अíपत करता हूं।

इस अवसर पर उनकी रचनाओं और उनके सम्मानों को याद करते हुए अशोक त्रिपाठी ने श्रद्धांजलि दी। संस्कृत के विद्वान डॉ. आनंद श्रीवास्तव ने उन्हें प्रयागराज का गौरव बताया और कहा फारूकी का जाना उर्दू साहित्य की एक अपूरणीय क्षति अपूरणीय क्षति है। बैठक में डॉ. राधेश्याम अग्रवाल, डॉ. उíमला श्रीवास्तव और डॉक्टर वर्षा अग्रवाल ने भी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। मृदुभाषी थे फारूकी : प्रो. हरिदत्त

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हरिदत्त शर्मा ने शम्सुर्रहमान फारूकी के निधन पर शोक जताया है। दूरभाष पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि करीब छह साल पहले इविवि के अंग्रेजी विभाग में इंडो-कनाडियन इंटरनेशनल कांफ्रेंस हुई थी। इसमें हिदी-उर्दू और अंग्रेजी की त्रिवेणी बही थी। उस कांफ्रेंस में फारूकी के साथ करीब तीन घंटे तक मंच साझा करने का मौका मिला था। कहा कि फारूकी बेहद मृदुभाषी थे। उनका जाना दुखद है।

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