E Commerce Companies : इनके बढ़ते कदम से परंपरागत बाजार सिकुड़े, अब ऐसे शहरों पर है लक्ष्य
E Commerce Companies कोरोना वायरस ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार के विस्तार करने का सुनहरा अवसर दिया है। लॉकडाउन में जब लोग घरों में कैद थे तो खानपान समेत अन्य चीजों की उन तक उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए शासन-प्रशासन ने भी ऑनलाइन माध्यम को बढ़ावा दिया।
प्रयागराज, जेएनएन। ई-कॉमर्स कंपनियों ने बड़े शहरों में अपना पैर पसार लिया है। अब ई-कामर्स कंपनियों ने धीरे-धीरे छोटे शहरों तक भी अपना पांव पसारना शुरू कर दिया है। छोटे शहरों के ग्राहकों तक पहुंचने का लक्ष्य बनाया है। इन कंपनियों के उत्पाद सस्ते और घर तक पहुंचाने की सुविधा से ग्राहक परंपरागत बाजार से दूर होते जा रहे हैं। उन्हें घर बैठे कम कीमत में सामान मिलता है और खराब होने पर बदल भी जाता है। इनके बढ़ते कदम से परंपरागत बाजार सिकुड़ते जा रहे हैं।
कोरोना संक्रमण ने ई-कॉमर्स कंपनियों को सुनहरा अवसर दिया
कोरोना वायरस ने ई-कॉमर्स कंपनियों को कारोबार के विस्तार करने का सुनहरा अवसर दे दिया है। लॉकडाउन में जब लोग घरों में कैद थे तो खानपान समेत अन्य चीजों की उन तक उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए शासन-प्रशासन ने भी ऑनलाइन माध्यम को बढ़ावा दिया। अब त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में ई-कॉमर्स कंपनियां तरह-तरह के ऑफर भी देने लगी हैं। इसकी वजह से रिटेल कारोबार सहमा हुआ है।
ई-कॉमर्स कंपनियों से पिछड़ रहे हैं
ऑनलाइन कारोबार से प्रतिस्पर्द्धा के लिए बड़े रिटेल कारोबारी होम डिलीवरी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए वह ग्राहकों को मैसेज करके वाट्सएप पर उत्पाद भी उपलब्ध करा रहे हैं। हालांकि सस्ते सामान देने के मामले में वह ई-कॉमर्स कंपनियों से पिछड़ रहे हैं। यह कंपनियां तमाम उत्पादों को बहुत कम दाम पर ग्राहकों को मुहैया करा रही हैं। इस दाम पर रिटेल कारोबारियों को मुहैया करा पाना संभव नहीं है।
डिजिटल भुगतान में पांच गुना की वृद्धि
इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स कारोबारी मिथिलेश सिंह ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां रेट घटाकर सामान बेचती हैं। दुकानदार उस रेट पर सामान नहीं बेच सकता है। कोरोना वायरस की वजह से डिजिटल भुगतान में पांच गुना की वृद्धि हुई है। प्लास्टिक कार्ड से भुगतान न होने पर व्यापार 20 फीसद और नीचे चला जाता।
रिटेल व्यापारियों को नहीं मिलती सुविधा
प्रयाग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विजय अरोरा का कहना है कि छोटे व्यापारियों की खरीद क्षमता बहुत ज्यादा नहीं होती है। ई-कॉमर्स कंपनियों की खरीद क्षमता बहुत होती है। उनकी तरह छोटे व्यापारियों को लोन की सुविधा भी नहीं मिलती है। इससे रिटेल व्यापारी पीछे रह जाता है लेकिन इसकी लड़ाई लड़ी जा रही है।