Birthday: आज है इलाहाबाद की सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी का 72वां जन्मदिन, समर्थक बांट रहे लड्डू

डा. रीता बहुगुणा जोशी को भी राजनीति विरासत में मिली। पिता स्व. हेमवती नंदन बहुगुण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो मां स्व. कमला बहुगुणा सांसद रहीं। वह इलाहाबाद जिला परिषद की पहली महिला अध्यक्ष भी रहीं। बावजूद इसके डा. जोशी ने लंबा समय एकेडमिक क्षेत्र में गुजारा।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 06:13 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 06:13 PM (IST)
Birthday: आज है इलाहाबाद की सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी का 72वां जन्मदिन, समर्थक बांट रहे लड्डू
डा. रीता बहुगुणा जोशी का जन्म प्रयागराज के लूकरगंज मोहल्ले में 22 जुलाई 1949 में हुआ था

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद की भाजपा सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी गुरुवार को अपना 72वां जन्मदिन मना रही हैं। उनका जन्म प्रयागराज के लूकरगंज मोहल्ले में 22 जुलाई 1949 में हुआ था। उनके पिता उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा और मां स्वर्गीय कमला बहुगुणा थीं। पति पीसी जोशी, पेट्रीस लुमुंबा विश्वविद्यालय के यात्रिक इंजीनियर रहे हैं।

1995 में बनीं थी प्रयागराज की महापौर

डॉ. जोशी ने एमए पूरा करने के बाद इतिहास में पीएचडी की और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्ययुगीन और आधुनिक इतिहास विभाग में प्रोफेसर बन गईं। 1995 में इलाहाबाद की मेयर बनी और राजनीतिक सफर शुरू किया। 2007-12 तक उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रहीं। वह 20 अक्टूबर 2016 को भाजपा में शामिल हुईं। पार्टी छोडऩे से पहले 24 साल तक कांग्रेस में रहीं। दो बार लोकसभा चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हेंं लखनऊ कैंट से जीत हासिल हुई। 2017 में लखनऊ कैंट सीट से चुनाव लड़ीं और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को हराकर विधानसभा में पहुंची। कैबिनेट में कल्याण, परिवार और बाल कल्याण मंत्री व पर्यटन मंत्री के रूप में शामिल हुईं। वर्तमान में इलाहाबाद संसदीय सीट से सांसद हैं। 2014 में लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ीं लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2009 में यूपी की मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ अपमान जनक टिप्पणी करने के लिए मुरादाबाद जेल भेजा गया था। 2003 से 2007 तक अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं। अब तक वह इतिहास पर दो पुस्तकें भी लिख चुकी हैं।

राजनीतिक जमीन बचाने के लिए जरूरी था पाला बदलना

भारतीय राजनीति में भाजपा ने अपनी स्थिति लगातार मजूबत की तो कांग्रेस का ग्राफ गिरता चला गया। अपने भाई विजय बहुगुणा के बाद डा. रीता बहुगुणा जोशी भी भाजपा खेमे में आ गईं। उन्हेंं 2012 और 2017 में भाजपा के टिकट पर विधानसभा में जाने का मौका मिला। यहां तक कि कैबिनेट मंत्री के रूप में परिवार, बाल कल्याण मंत्रालय भी मिला। यह सफर यहीं नहीं थमा, उन्हेंं इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने टिकट दिया और वह फिर परचम लहराने में कामयाब हुईं और दिल्ली तक पहुंच गईं।

पिता की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाला

डा. रीता बहुगुणा जोशी को भी राजनीति विरासत में मिली। पिता स्व. हेमवती नंदन बहुगुण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तो मां स्व. कमला बहुगुणा सांसद रहीं। वह इलाहाबाद जिला परिषद की पहली महिला अध्यक्ष भी रहीं। बावजूद इसके डा. जोशी ने लंबा समय एकेडमिक क्षेत्र में गुजारा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वह मध्य युगीन और आधुनिक इतिहास विभाग में प्रोफेसर रहीं। 1995 में पहली बार डा. रीता बहुगुणा जोशी ने इलाहाबाद में मेयर का चुनाव लड़ा। खास बात यह कि वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आईं। कांग्रेस से डा. रंजना बाजपेयी ताल ठोक रहीं थीं तो भाजपा की तरफ से जमनोत्री गुप्ता भाग्य आजमा रही थीं। उस समय पूर्व सांसद श्यामा चरण गुप्त बड़ा नाम होता था। जमनोत्री गुप्ता उनकी पत्नी थीं जिससे मुकाबला त्रिकोणीय था और रोचक भी। डा. जोशी ने ब्राह्म्ण चेहरे के तौर पर समर्थन जुटाना शुरू किया। पिता स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा की विकासवादी छवि का भी लाभ उन्हेंं मिला। उस समय माना गया कि यदि डा. जोशी मेयर बनती हैं तो जिले की राजनीति बदल जाएगी। इसके अतिरिक्त जिस तरह हेमवती नंदन बहुगुणा ने औद्योगिक क्षेत्र नैनी का विकास किया था उसी तरह इलाहाबाद भी जरूर चमकेगा। इन तमाम कयासों के साथ डा. जोशी ने जीत दर्ज की और अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की।

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