ताकि मिल सके ​​​​​कोरोना महामारी से मुक्ति, शक्तिपीठ कड़ाधाम में किया जा रहा आठ दिन का महायज्ञ

कोरोना महामारी के इस मुश्किल दौर से संसार को मुक्ति दिलाने के लिए 51 शक्तिपीठ कड़ाधाम में शक्ति को समर्पित आठ दिवसीय महायज्ञ शुरू किया गया। आसपास के लोग भी शारीरिक दूरी का पालन करते हुए वहां पहुंच रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 06:48 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 06:48 PM (IST)
ताकि मिल सके ​​​​​कोरोना महामारी से मुक्ति, शक्तिपीठ कड़ाधाम में किया जा रहा आठ दिन का महायज्ञ
मृत्यु की देवी तारा तथा दुख, कलह एवं शोक की देवी धूमावती को प्रसन्न करने के लिए धार्मिक अनुष्ठान

प्रयागराज, जेएनएन। इस वक्त दुनिया में हर शख्स की यही कामना है कि किसी भी तरह इस जानलेवा कोरोना महामारी से छुटकारा मिल जाए बस। लोग इस कामना को पूरी करने के लिए हर जतन कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग टीकाकरण और सैनिटाइजेशन कर रहा है तो आम लोग बचाव के अन्य तरीकों को अपनाने के साथ ही मन्नत और मनौतियां भी मान रहे हैं। धर्म-कर्म का भी रास्ता अपनाया जा रहा है। इसी क्रम में  कोरोना महामारी के इस मुश्किल दौर से संसार को मुक्ति दिलाने के लिए 51 शक्तिपीठ कड़ाधाम में शक्ति को समर्पित आठ दिवसीय महायज्ञ शुरू किया गया। आसपास के लोग भी शारीरिक दूरी का पालन करते हुए वहां पहुंच रहे हैं।

 कोरोना से मुक्ति के लिए मंत्रों से गूंजा धाम क्षेत्र

महायज्ञ आयोजन समिति के प्रमुख तीर्थ पुरोहित लालचंद पंडा ने कहा कि आदिकाल से विश्व समय-समय पर महामारियों से पीड़ित होता आया है। जब मेडिकल साइंस आज की तरह  विकसित स्तर पर नहीं था, उस समय महामारियों से मुक्ति के लिए  देवी-देवताओं  के धार्मिक अनुष्ठान के द्वारा उन पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जाता रहा है। महामारियों के नियंत्रण के संदर्भ में दुर्गा सप्तशती में मृत्यु की देवी तारा तथा भय कलह एवं शोक की अधिष्ठात्री देवी मां धूमावती की आराधना का उल्लेख किया गया है। इन्हीं देवियों को प्रसन्न करने के लिए आठ दिवसीय महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इसके माध्यम से पूरे विश्व को  कोरोना वायरस से मुक्ति  के लिए माता से प्रार्थना की जा रही है। और सर्व समाज के कल्याण के लिए अनुष्ठान किया गया। इस धार्मिक अनुष्ठान को संपन्न कराने वाले तीर्थ पुरोहितों में कृपाशंकर पंडा, शिवदर्शन पंडा, गुरुप्रसाद पंडा शामिल हैं। इस अवसर पर कुन्ना, नरेश पंडा, बादल पंडा, दीपचंद तथा बड़ी संख्या में तीर्थ पुरोहित गण उपस्थित थे।

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