मीरगंज में पंडित नेहरू की जन्मस्थली की मुक्ति के लिए हुआ था आंदोलन, जानिए क्या थी वजह

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के मीरगंज मोहल्ले में हुआ था। यह क्षेत्र कभी बदनाम गलियों के रूप में जाना जाता था। वहां पहले मुजरा होता था बाद में जिस्मफरोशी का धंधा भी शुरू हो गया

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 03:30 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 03:30 PM (IST)
मीरगंज में पंडित नेहरू की जन्मस्थली की मुक्ति के लिए हुआ था आंदोलन, जानिए क्या थी वजह
देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म प्रयागराज के मीरगंज मोहल्ले में हुआ था।

प्रयागराज, जेएनएन। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के मीरगंज मोहल्ले में हुआ था। यह क्षेत्र कभी बदनाम गलियों के रूप में जाना जाता था। वहां पहले मुजरा होता था बाद में जिस्मफरोशी का धंधा भी शुरू हो गया जिसके कारण इस मुहल्ले को लोग पंडित नेहरू के नाम से कम रेड लाइट एरिया के नाम से ज्यादा जानने लगे थे। पंडित नेहरू की जन्मस्थली पर लगे इस दाग को मिटाने के लिए काफी लंबा आंदोलन चला था जिसके बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रशासन ने जिस्मफरोशी का धंधा बंद करा दिया था। इस तरह से नेहरू की जन्मस्थली से बदनुमा दाग बहुत कुछ साफ हुआ।

मीरगंज की गलियों में बीता था देश के पहले प्रधानमंत्री का बचपन

आनंद भवन के वर्षों तक केयरटेकर रहे मुंशी कन्हैयालाल के दामाद और वयोवृद्ध कांग्रेसी श्यामकृष्ण पांडेय के मुताबिक देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्म मीरगंज में हुआ था। उन्होंने अपने बालपन के 10 साल इसी मोहल्ले में किराए के एक मकान में गुजारे थे। उनके पिता पंडित मोतीलाल नेहरू इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत करते थे। शुरूआती संघर्ष के दिनों में वे मीरगंज में किराए के मकान में रहते थे। इसी दौरान 14 नवंबर वर्ष 1889 को पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था। मीरगंज में मकान नंबर 77 में पं. नेहरू का परिवार रहा करता था। मकान को नगर पालिका ने 1931 में गिरा दिया था। हालांकि इसके ठोस प्रमाण नहीं मिलते कि पंडित नेहरू के समय मीरगंज में रेड लाइट एरिया था।

मीरगंज में देह व्यापार खत्म कराने को नौ महीने चला था अनशन

इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता व समाजसेवी सुनील चौधरी ने नेहरू की जन्मस्थली को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कराने और मीरगंज से जिस्मफरोशी खत्म कराने के लिए 2014 में आंदोलन खड़ा किया। नौ महीने तक घंटाघर पर स्थित छुन्नन गुरु की प्रतिमा के नीचे अनशन पर बैठे थे। हस्ताक्षर अभियान चलाया था। कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी मिली, मारपीट भी की गई थी मगर उन्होंने कदम पीछे नहीं खींचे।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल करनी पड़ी थी जनहित याचिका

मीरगंज को देह व्यापार से मुक्त कराने के लिए सुनील चौधरी ने 2015 में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की, जिस पर कोर्ट ने जिला प्रशासन को मीरगंज से रेड लाइट एरिया को हटाने के निर्देश दिए। जिसके बाद मीरगंज से रेड लाइट एरिया को हटाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। सुनील चौधरी के मुताबिक पंडित नेहरू का परिवार भवन संख्या 77 मीरगंज में रहता था, इसका प्रमाण आजाद पार्क स्थित राजकीय संग्रहालय में मौजूद है।

प्रमुख बाजारों में शुमार है मीरगंज, ज्वेलरी का होता है कारोबार

व्यापारी नेता अमर वैश्य का कहना है कि मीरगंज मुहल्ला पंडित नेहरू का जन्मस्थली होने के साथ ही शहर का प्रमुख बाजार भी है। यहां की गलियों में ज्वेलरी की ढेर सारी दुकानें हैं जहां से रोजाना लाखों रुपये का व्यापार होता है। यहां से केवल प्रयागराज ही नहीं,  आसपास के जिलों को भी ज्वेलरी की सप्लाई दी जाती है। गंदा धंधा होने से व्यापारी और अन्य लोग यहां आने से कतराते थे लेकिन कोठे हट जाने से अब यहां के वाशिंदों व दुकान वालों को राहत मिली है।

पुलिस चौकी से महज 50 मीटर दूरी पर होती थी जिस्मफरोशी

अधिवक्ता सुनील चौधरी की मानें तो  मीरगंज में पुलिस चौकी से महज 50 मीटर की दूरी पर जिस्मफरोशी का धंधा होता था लेकिन कभी भी पुलिस धंधे को रोकने के लिए सक्रिय नहीं होती थी। कभी-कभार सामाजिक संस्था या अधिकारियों के दबाव में छापेमारी की की रस्म निभाई जाती थी। कुछ लोगों व लड़कियों-महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया जाता था लेकिन दो-चार दिन बाद ही जिस्मफरोशी का धंधा फिर से शुरू हो जाता था।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी लिखी थी चिट्ठी

पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्म स्थली को जिस्मफरोशी के अभिशाप से मुक्त कराने को संकल्पित रहे अधिवक्ता सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि आंदोलन के दौरान नैतिक सपोर्ट पाने के लिए उन्होंने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी पत्र लिखा था कि पंडित नेहरू जी की जन्मस्थली के जीर्णोद्धार के लिए हमारी मदद करें लेकिन पत्र का आज तक कोई जवाब नहीं आया।

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