'श्री' पद्धति से करें धान की रोपाई, पाएं कम लागत और अधिक फसल का उत्‍पादन

एक एकड़ में धान की रोपाई के लिए मात्र दो किलोग्राम अच्छे बीज की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि राजकीय बीज भंडार फूलपुर में वर्तमान समय में सीएसआर 43 प्रजाति का धान का बीज उपलब्ध है जो एक 110 दिन में पक कर तैयार हो जाएगी।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 04:50 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 04:50 PM (IST)
'श्री' पद्धति से करें धान की रोपाई, पाएं कम लागत और अधिक फसल का उत्‍पादन
कम बीज, उर्वरक व सिंचाई में अधिक उत्पादन वाली 'श्री'पद्धति को अपना कर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैैं।

प्रयागराज, जेएनएन। धान खरीफ मौसम की मुख्य फसल है। क्षेत्र सहित जनपद के अधिकांश किसान धान की खेती करते हैं। धान की फसल की रोपाई एवं निराई में अधिक संख्या में श्रमिकों की आवश्कता पड़ती है। ऐसे में किसानों को समय व लागत भी अधिक आती है। कम बीज, उर्वरक व सिंचाई में अधिक उत्पादन वाली 'श्रीÓ पद्धति को अपना कर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैैं।

मात्र 14 दिन के पौंधों की करें रोपाई

'श्रीÓ पद्धति में धान के पौधों को सावधानी पूर्वक रोपा जाता है। इस पद्धति से किसान 21 दिन के धान के नर्सरी के पौधों के मुकाबले मात्र 14 दिन के पौधों को समतल किए गए कीचड़ युक्त खेत में 25-25 सेमी की दूरी पर एक एक पौधे की रोपाई की जाती है। उक्त जानकारी राजकीय कृषि बीज भंडार प्रभारी फूलपुर धर्मेंद्र कुमार ने देते हुए बताया कि इस श्री पद्धति से धान की रोपाई करने से खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से चलाये जाने वाले कोनीवीडर का प्रयोग किया जाता है। इससे खेत की मिट्टी हल्की हो जाती है जिससे धान की फसल में ज्यादा कल्ले निकलते हैं और बालियां निकलने पर उसमें अधिक दाने पड़ते हैं। फलस्वरूप उत्पादन भी बढ़ जाता है। प्रभारी धर्मेंद्र ने बताया कि धान की रोपाई करने वाले इस पद्धति से खेत में उर्वरक का भी कम प्रयोग किया जाता है और जैविक खाद का अधिक प्रयोग किया जाता है।

एक एकड़ में धान की रोपाई के लिए दो किलोग्राम बीज

उन्होंने बताया कि एक एकड़ में धान की रोपाई के लिए मात्र दो किलोग्राम अच्छे बीज की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि राजकीय बीज भंडार फूलपुर में वर्तमान समय में सीएसआर 43 प्रजाति का धान का बीज उपलब्ध है जो एक 110 दिन में पक कर तैयार हो जाएगी। किसान उक्त किस्म के धान की रोपाई कर कम लागत में तथा कम समय में धान का उत्पादन संभव है।

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