Ramadan 2021: मस्जिदों तक सीमित है प्रयागराज के हाफिजों की आवाज, अबकी नहीं आया विदेश से बुलावा

हर बार हिंदुस्तानी हाफिज-आलिमों (ऐसे विद्धान जिन्हेंं कुरान जुबानी याद है) की आवाज देश-दुनिया में गूंजती थी। हर देश से उनका बुलावा आता था। लेकिन अबकी कोई कहीं नहीं गया। विदेश जाने वाले प्रयागराज के हाफिज व आलिम अबकी अपनी मस्जिदों तक सीमित हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 10:30 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 10:30 AM (IST)
Ramadan 2021: मस्जिदों तक सीमित है प्रयागराज के हाफिजों की आवाज, अबकी नहीं आया विदेश से बुलावा
इस बार कोरोना महामारी के कारण मस्जिदों के ईमाम या स्थानीय हाफिज इस सुन्नत को पूरा कर रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी के मद्देनजर तमाम बंदिशें लगने के कारण अबकी रमजान में तरावीह (रमजान की विशेष नमाज) के दौरान कुरान की आयतें सुनाने का सिलसिला थम गया है। हर बार हिंदुस्तानी हाफिज-आलिमों (ऐसे विद्धान जिन्हेंं कुरान जुबानी याद है) की आवाज देश-दुनिया में गूंजती थी। हर देश से उनका बुलावा आता था। लेकिन, अबकी कोई कहीं नहीं गया। विदेश जाने वाले प्रयागराज के हाफिज व आलिम अबकी अपनी मस्जिदों तक सीमित हैं।  

रमजानुल मुबारक के मुकद्दस महीने में रात में ईशा की नमाज के बाद 20 रकात तरावीह का सिलसिला पूरे माह चलता रहता है। तलफ्जुज (उच्चारण) की खास अदायगी के कारण देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही दुनियाभर से हिंदुस्तानी हाफिजों को विशेष तौर पर बुलाया जाता रहा है।  प्रयागराज के हाफिजों को सऊदी अरब, दुबई, कतर, बहरीन के अतिरिक्त ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका आदि देशों में बुलाया जाता है। लेकिन, इस बार कोरोना महामारी के कारण मस्जिदों के ईमाम या स्थानीय हाफिज इस सुन्नत को पूरा कर रहे हैं। 

महीनों पहले से शुरू होती है तैयारी

रमजान में विशेष नमाज तरावीह पढ़ाने के लिए हाफिज और कारी कई माह पूर्व से ही कुरान सुनाने की तैयारी करते हैं। नये-पुराने हाफिज कुरान दोहराने और तलफ्फुज पर खास मेहनत करते हैं। इस पाक महीने में हर मस्जिद में इशा की नमाज के बाद विशेष नमाज तरावीह पढ़ी जाती है। तरावीह की नमाज हाफिज और कारी अदा कराते हैं। हर मस्जिद में तरावीह तीन दिन से लेकर 29 दिनों में खत्म की जाती है। लोग अपने सहूलियत के हिसाब से इस विशेष नमाज में शामिल होते हैं। अमूमन व्यापार से जुड़े लोग तीन या पांच दिन की तरावीह में शामिल होते हैं। 

अल्फाज अदायगी का है अलग अंदाज

मदरसा वसीअतुल उलूम के सचिव डा. अहमद मकीन बताते हैं कि शहर के मदरसों में प्रशिक्षित हाफिजों की अल्फाज अदायगी का अलग अंदाज है। देशभर के मदरसों में शिक्षित-प्रशिक्षित हाफिज कुरान को याद करने में खासी मेहनत करते हैं।  इससे ज्यादा मेहनत अल्फाज की अदायगी में होती है। रमजान में बहुत से ऐसे हाफिज ऐसे हैं जो वर्षों से निर्धारित मस्जिदों में तरावीह अदा कराते हैं, कुछ नए भी बाहर जाते हैं, कुछ अपनी मर्जी से मस्जिदों और इबादतगााहों को बदल देते हैं। यह हाफिज स्वतंत्र रूप से स्थपित मदरसों से तालीम पा चुके होते है अथवा शासन द्वारा पंजीकृत बोर्ड जैसे दारूल उलूम नदवातुल उलमा लखनऊ, मदरसा ममाहिर उलूम सहारनपुर, दारूलउलूम देवबंद, दारूल उलूम अशरफिया, आजमगढ़, जामिया साल्फिया वाराणसी, मदरसा फैज ए आम सहित इसमें प्रदेश के दो दर्जन से अधिक मदरसा बोर्ड शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, तमिलनाडु, गुजरात, असम और जम्मू-कश्मीर के मदरसे एवं उत्तर प्रदेश अरबी फारसी मदरसा बोर्ड से जुड़े सैकड़ों मदरसे शामिल हैं।

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