यहां इलाज के नाम पर होता है महज दिखावा, प्रयागराज के इन अस्पतालों में नहीं हैं जरूरी संसाधन

अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 30 बेड हैं। यह इसलिए अक्सर खाली रहते हैं क्योंकि मरीजों को अपना इलाज मजबूरी में निजी अस्पतालों में कराना पड़ता है। अस्पताल में डाक्टरों के स्वीकृत सात पदों में दो की कोविड ड्यूटी लगी है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 07:00 AM (IST)
यहां इलाज के नाम पर होता है महज दिखावा, प्रयागराज के इन अस्पतालों में नहीं हैं जरूरी संसाधन
न एक्सरे मशीन न अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था, मरीजों के लिए प्राइवेट संस्थान ही सहारा

प्रयागराज, जेएनएन। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, यानी गांव के पास ऐसा सरकारी अस्पताल जहां इलाज की पर्याप्त सुविधा हो। कोशिश रहे कि मरीज को शहर के अस्पताल आने से पहले वहीं काफी राहत मिल जाए। शायद इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'जहां बीमार वहां उपचार की मंशा भी जाहिर की है। लेकिन प्रतापपुर विकासखंड में 12 किलोमीटर के दायरे में दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात पीएचसी से भी बदतर हैं। सीएचसी प्रतापपुर का हाल बता रहे हैं राज बहादुर यादव।

बेसिक जरूरतें ही पूरी नहीं

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रतापपुर में एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की मशीन नहीं है। जबकि छाती, पेट या हड्डियों से संबंधित रोग पता करने के लिए यही डायग्नोस मशीनें बेसिक चिकित्सा संसाधन हैं। गर्भधात्री माताओं की समय-समय पर जांच के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। जाहिर है कि इन सुविधाओं के न रहने से इसके जरूरतमंद लोगों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। सीएचसी जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर हंडिया सोरांव मार्ग पर है। दो लाख 16 हजार आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा करना इसी अस्पताल की जिम्मेदारी पर है। 2020-21 में नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड में इस अस्पताल को प्रदेश में दूसरा स्थान मिल चुका है। आक्सीजन प्लांट लगाने के स्थान पर अभी प्रस्ताव ही भेजा गया है। जबकि कोरोना की तीसरी लहर की प्रबल आशंका जताई जाने लगी है।

30 बेड, भर्ती नहीं होते मरीज

अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 30 बेड हैं। यह इसलिए अक्सर खाली रहते हैं क्योंकि मरीजों को अपना इलाज मजबूरी में निजी अस्पतालों में कराना पड़ता है। अस्पताल में डाक्टरों के स्वीकृत सात पदों में दो की कोविड ड्यूटी लगी है। पांच डाक्टर, दो एएनएम और फार्मासिस्ट ही चिकित्सा व्यवस्था संभाले हैं।

अस्पताल में सुविधाएं

कुष्ठ रोग, टीबी यूनिट, दंत रोग, नेत्र परीक्षण, पैथोलॉजी, लेबर रूम, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, कोविड जांच, एचआइवी जांच की सुविधा है लेकिन अमूमन ऐसे रोगियों को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है।

चार पीएचसी, 28 उपकेंद्र

जंघई, सरायममरेज, बीबीपुर सहित चार पीएचसी और 28 उपकेंद्र भी तहसील क्षेत्र में हैं। पीएचसी उग्रसेनपुर काफी दिनों से बंद है क्योंकि वहां डाक्टर नहीं हैं।

मरीजों का होता है इलाज

सीएचसी में मरीजों के इलाज में कोई कमी नहीं है। जिला स्तरीय लैब में ऑटो एनलाइजर द्वारा जांच की जाती है। कोविड टेस्ट भी होता है और एक्सीडेंटल केस में लोग ज्यादा गंभीर हालत में लाए गए तो जिला अस्पताल के लिए रेफर करने से पहले प्राथमिक उपचार किया जाता है।

डा. रावेंद्र सिंह, अधीक्षक

सीएचसी नेदुला भी बेमायने

अतिरिक्त सीएचसी नेदुला, सरायममरेज-निभापुर मार्ग पर है। इसका निर्माण 2016 कराया गया था। छह महीने पहले यहां ओपीडी चालू कर दी गई। लेकिन मौके पर डाक्टर मिलते नहीं हैं। अधीक्षक डा. राजेश कुमार ने बताया कि विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है इसलिए अस्पताल आने वाले लोगों को कुछ परेशानी होती है।

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