खुशी को इंसाफ दिलाने के लिए दिल्ली तक हलचल, इंटरनेट मीडिया पर मामला सुर्खियों में होने के चलते सियासी उबाल भी आया

यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल में खुशी की मौत के मामले में शनिवार को कौशांबी प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक हलचल रही। इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। तीन डॉक्टरों के पैनल ने एक तरफ जहां खुशी की मौत यूनाइटेड मेडिसिटी के डॉक्टर की लापरवाही से मानी

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 07 Mar 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 07 Mar 2021 06:00 AM (IST)
खुशी को इंसाफ दिलाने के लिए दिल्ली तक हलचल, इंटरनेट मीडिया पर मामला सुर्खियों में होने के चलते सियासी उबाल भी आया
प्रयागराज के सीएमओ और अपर जिलाधिकारी ने जांच में यूनाइटेड मेडिसिटी को क्लीन चिट दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल में खुशी की मौत के मामले में शनिवार को कौशांबी, प्रयागराज से लेकर दिल्ली तक हलचल रही। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स  (एनसीपीसीआर) ने खुशी (03) पुत्री मुकेश मिश्रा की मौत के मामले का संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। इस मामले में सियासत भी शुरू हो गई है। तीन डॉक्टरों के पैनल ने एक तरफ जहां खुशी की मौत यूनाइटेड मेडिसिटी के डॉक्टर की लापरवाही से मानी, तो वहीं प्रयागराज के सीएमओ और अपर जिलाधिकारी ने जांच में यूनाइटेड मेडिसिटी को क्लीन चिट दी है। 

पेट में आनन-फानन टांका लगाने का आरोप

खुशी के पिता मुकेश मिश्र का आरोप है कि डॉक्टरों ने अस्पताल के बाहर ही बेटी के पेट में टांका लगाने का प्रयास किया, लेकिन मासूम की तड़पकर मौत हो गई। 

आपरेशन था जरूरी

प्रयागराज के सीएमओ डॉ. प्रभाकर राय और अपर जिलाधिकारी (नगर) अशोक कुमार कनौजिया ने प्रकरण की जांच की। सीएमओ ने बताया कि खुशी का आपरेशन निहायत जरूरी हो गया था। आंत के ऊपर पित्त की वजह से रिसाव शुरू हो गया था, इसलिए दूसरा आपरेशन हुआ। ऐसे मामलों में किसी और एक्सपर्ट डाक्टर के पास केस भेजे जाते हैं, इसलिए अस्पताल ने एसआरएन के लिए रेफर किया। मगर घरवालों की इच्छा पर बच्ची चिल्ड्रेन अस्पताल ले जाई गई। गेट पर बच्ची को टांका लगाने के संबंध में कहा कि शव को ले जाना था, इसलिए पुलिस ने नली आदि निकालने के लिए कहा था। स्टाफ ने वही किया जिसे घरवालों ने समझा कि अस्पताल के गेट पर टांका लगाया जा रहा है।

बच्ची की मौत विधि का विधान

यूनाइटेड मेडिसिटी के निदेशक डा. प्रमोद कुमार ने शनिवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि बच्ची के दोनों आपरेशन के लिए पिता की सहमति ली गई थी। यूनाइटेड अस्पताल ने ट्रस्ट के जरिए बच्ची का इलाज करते हुए परिवार के पैसे नहीं खर्च होने दिए। मुकेश से महज 6370 रुपये लिए गए, जबकि बिल 1.25 लाख का बना था। उन्होंने खुशी की मौत पर खेद जताते हुए इसे विधि का विधान बताया।

अफसरों ने बरती उदासीनता

इविवि की पूर्व अध्यक्ष व समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता ऋचा सिंह भी कौशांबी में पोस्टमार्टम हाउस पहुंचीं। उन्होंने प्रयागराज के अफसरों पर उदासीनता का आरोप लगाया। कहा कि अस्पताल को सबसे पहले सील करना चाहिए। परिवार को 20 लाख मुआवजा दिए जाने की मांग की।

कांग्रेसियों ने सौंपा ज्ञापन

कांग्रेसियों के प्रतिनिधि मंडल ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन मंडलायुक्त कार्यालय में सौंपा। मुकुंद तिवारी की अगुवाई में जुटे कांग्रेसियों ने कहा कि निजी अस्पताल के प्रबंधतंत्र के अमानवीय चेहरे के कारण मासूम की मौत हुई है। हसीब अहमद ने घरवालों को 10 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की। सपा नेता अदील हमजा साहिल ने कहा कि समाजवादी पार्टी खुशी को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ाई लड़ेगी। 

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