हाल प्रतापगढ़ का, यहां ​​​​​कोरोना महामारी की तीसरी लहर से लड़ने के लिए नहीं हो सकी है अब तक तैयारी

जिले में अस्पतालों में आइसोलेशन बेड वेंटिलेटर बेड और आइसीयू की उपलब्धता जरूरत से बहुत कम है। हालांकि इसे बढ़ाने की तैयारी है लेकिन समय तय नहीं है। राजकीय मेडिकल कालेज व सीएचसी लालगंज को छोड़कर कहीं भी व्यवस्था पूरी नहीं हो सकी है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 06:40 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:40 AM (IST)
हाल प्रतापगढ़ का, यहां ​​​​​कोरोना महामारी की तीसरी लहर से लड़ने के लिए नहीं हो सकी है अब तक तैयारी
प्रयागराज समेत दूसरे जिलों की तुलना में नहीं हो सकी है तैयारी

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका की वजह से देश और प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की ओर से तमाम तैयारियां हो रही हैं। नए आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं तो कई अस्पतालों और सीएचसी में पीकू और नीकू वार्ड भी तैयार किए गए हैं। मगर प्रयागराज की तुलना में पड़ोसी जनपद प्रतापगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर से मुकाबले के लिए मशीनरी तैयार नहीं हो सकी है। यहां के सरकारी अस्पतालों में उपकरणों व स्टाफ की भारी की है। ज्यादातर अस्पतालों में कमियां ही कमियां हैं।

जिले में अस्पतालों में आइसोलेशन बेड, वेंटिलेटर बेड और आइसीयू की उपलब्धता जरूरत से बहुत कम है। हालांकि इसे बढ़ाने की तैयारी है, लेकिन समय तय नहीं है। राजकीय मेडिकल कालेज व सीएचसी लालगंज को छोड़कर कहीं भी व्यवस्था पूरी नहीं हो सकी है। ब्लाक सीएचसी स्तर पर तो संसाधनों का रोना अधिक है। वहां पर अब तक आक्सीजन की उपलब्धता के इंतजाम नाकाफी हैं। स्वास्थ्य विभाग व जिले का प्रशासन आक्सीजन की उपलब्धता के दावे तो कर रहा हैं, पर दूसरी लहर में ऐसे दावे फेल हो चुके हैं। दूसरी लहर में जितनी जरूरत थी, उस लिहाज से आक्सीजन वितरण नहीं हो सका था। ऐसे में लाइसेंसी वेंडर की संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की गई थी। इसे अब तक नहीं बढ़ाया गया। आक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता प्रमुख सरकारी अस्पतालों ही है। यह केवल पांच हैं।

सुस्त हो गई समिति

आक्सीजन सिलेंडरों की रिफिलिंग व कालाबाजारी रोकने के लिए दूसरी लहर में डीएम ने एक समिति बनाई थी। कोरोना वायरस के केस कम होने पर यह समिति सुस्त हो गई है। इसे सक्रिय करने की जरूरत अब तक प्रशासन ने महसूस नहीं की है।

कौन चलाए वेंटीलेटर

जिले में वेंटीलेटर तो हैं, पर उसे चलाए कौन। स्वास्थ्य कर्मियों को इसका प्रशिक्षण नहीं मिल सका है। ऐसे में यह उपकरण मरीजों के काम आए भी तो भला कैसे। कुछ कर्मचारी ट्रेनिंग लेकर आए बताए जा रहे हैं, पर वह कहां हैं पता नहीं।

यह है विभाग का दावा

देखने में भले ही व्यवस्थाएं न दिख रही हों, पर स्वास्थ्य विभाग ऐसा नहीं मानता। तैयारियों को लेकर विभाग का दावा है कि पीकू वार्ड की व्यवस्था जिले में की जा रही है। जिले को छह वेंटीलेटर और शासन से मिले हैं। कोविड-19 की तीसरी लहर के लिए आक्सीजन के डी टाइप के 105 सिलेंडर उपलब्ध हैं। बी टाइप के 82 सिलेंडर हैं। 310 आक्सीजन कंसंट्रेटर व 25 वेंटीलेटर चालू हालत में उपलब्ध है। सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव का कहना है कि तीसरी लहर को लेकर तैयारी जोरों पर है। बच्चों को मेडिकल किट भी बांटी जा रही है। शासन से और उपकरण मांगे गए हैं।

ऐसा होना चाहिए इंतजाम

- मेडिकल कालेज में कम से कम 30 बेड का पीकू होना चाहिए, 20 बेड का है।

- सीएचसी में 10 बेड का पीकू होना चाहिए। कहीं दो बेड लगे हैं, कहीं वह भी नहीं।

- सीएचसी में आक्सीजन प्लांट होना चाहिए। 22 में से केवल पांच में इसका इंतजाम।

- पीडियाट्रिक वेंटीलेटरों की व्यवस्था के दावे अब तक हकीकत में नहीं बदल सके।

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