त्रिवेणी तट पर असहायों की भूख मिटाने की सेवा फिर हो गई शुरू, बंटने लगा है भईया जी का दाल-भात

कई साल से इस सेवा कार्य में जुटे दाल भात वाले भइया जी यानी गुड्डू मिश्रा का कहना है कि निराश्रितों को भोजन कराने से जो आत्मिक खुशी महसूस होती है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। इस पुनीत काम में कई लोग सहयोग कर रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 01:40 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 01:40 PM (IST)
त्रिवेणी तट पर असहायों की भूख मिटाने की सेवा फिर हो गई शुरू, बंटने लगा है भईया जी का दाल-भात
भईया जी का दाल भात परिवार की ओर से सैकड़ों लोगों को चावल-दाल का भोजन कराया जा रहा है।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर का कहर थमने के बाद माघ मेला क्षेत्र में संगम तट के निकट निराश्रितों को भोजन कराने की समाजसेवा फिर शुरू कर दी गई है। भूखमुक्त भारत के संकल्प के तहत भईया जी का दाल भात परिवार की ओर से अब नियमित तौर पर सैकड़ों लोगों को चावल-दाल का भोजन कराया जा रहा है। निश्शुल्क भोजन के लिए लोग कतार में थाली या प्लेट लेकर खड़े होते हैं। सबको भरपेट भोजन दिया जाता है। दूर-दूर से संगम पर स्नान करने के लिए आने वाले कुछ लोग भी इस भोजन को ग्रहण करते हैं।

निराश्रितों की भूख मिटाने पर मिलती है आत्मिक खुशी

पवित्र त्रिवेणी तट पर लेटे हुए हनुमान जी मन्दिर के सामने नियमित रूप से गरीब, बेसहारा, दिव्यांग, कुष्ठ रोगी, बुजुर्ग, बच्चे समेत सभी एवं जरूरत मंद लोगों को भईया जी का दाल भात परिवार द्वारा समाज के सहयोग से मुफ्त में भोजन प्रसाद वितरण किया जा रहा है। कई साल से इस सेवा कार्य में जुटे दाल भात वाले भईया जी यानी गुड्डू मिश्रा का कहना है कि निराश्रितों को भोजन कराने से जो आत्मिक खुशी महसूस होती है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। इस पुनीत काम में कई लोग सहयोग कर रहे हैं। वे समय निकालकर आते हैं और भोजन तैयार करने से लेकर बांटने तक में सेवा करते हैं। गुड्डू मिश्रा ने बताया कि उनके भूख मुक्त भारत संकल्प के बारे में जानकर लोग अब इस काम में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं। लोग अपने या किसी करीबी के  जन्मदिन, विवाह, शादी की वर्षगांठ, पुण्यतिथि सहित अन्य मौकों पर नकद या राशन प्रदान करते हैं। वह अपील करते हैं कि अपने जीवन से जुड़े किसी प्रकार के खुशी समेत अन्य अवसरो पर अपनी स्वेच्छा से दानकर भूख से पीड़ित मुरझाए चेहरों पर खुशी लाने के सार्थक प्रयास में सहयोग करें।

गुड्डू कहते हैं कि......

मर जाऊं मांगू नहीं अपने तन का काज।

परमारथ के काज में मोहि न आवत लाज।।

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