Coronavirus Prayagraj News: प्रयागराज प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद, संक्रमित बेटे ने भाड़े के लोगों से कराया पिता का अंतिम संस्कार

अस्पताल में बेड नहीं मिला। ऐसे में उनका इलाज घर में चला रहा। सोमवार को सुबह उनकी मौत हो गई। कोई कंधा देने आगे नहीं आया। बेटा पिता के शव को देख कर बिलखता रहा और जो भी सरकारी नंबर हेल्पलाइन नंबर थे उस पर मदद की गुहार लगाते रहे।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 10:53 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 10:53 PM (IST)
Coronavirus Prayagraj News: प्रयागराज प्रशासन ने नहीं सुनी फरियाद, संक्रमित बेटे ने भाड़े के लोगों से कराया पिता का अंतिम संस्कार
मोहल्ले वालों ने फोन करके प्राइवेट एंबुलेंस बुलाई तब एंबुलेंस वाले अंतिम संस्कार के लिए ले गए।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना ने लोगों को इंसानियत का फर्ज निभाने के लिए भी नहीं छोड़ा। कोरोना संक्रमित बेटे वीरेश सोलंकी के पिता आलोक सोलंकी की सोमवार को कोरोना से घर में मौत हो गई। मौत कोरोना के चलते हुई थी, ऐसे में अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिले। बेबस बेटा मदद के लिए सरकारी अमले को और कोविड हेल्पलाइन से जुड़े नंबर पर फोन मिलाता रहा, लेकिन जीवित रहने पर अस्पताल में भर्ती न करने वाली व्यवस्था ने मौत होने पर भी नहीं सुनी। ऐसे में लाचार बेटे ने पैसे देकर मोहल्ले वालों की मदद से किराए पर लोग बुलाए, तब उनके पिता का अंतिम संस्कार किया जा सका।

बेटे के बाद पिता भी हो गए थे कोरोना संक्रमित

मामला नैनी क्षेत्र के शिव नगर मोहल्ले का है। यहां के  वीरेश सोलंकी अबूधाबी में नौकरी करते हैं। पिछले माह घर लौटे थे। जब लौटने का समय हुआ तो उन्होंने अपनी कोरोना जांच कराई। रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई तो घर में आइसोलेट हो गए। दो दिन पहले 62 वर्षीय उनके पिता आलोक सोलंकी भी कोरोना संक्रमित हो गए।

अस्पताल में बेड न मिलने पर घर में चल रहा था उपचार

अस्पताल में बेड नहीं मिला। ऐसे में उनका इलाज घर में चला रहा। सोमवार को सुबह उनकी मौत हो गई। सुबह से शाम हो गई, लेकिन कोरोना से मौत होने के चलते कोई कंधा देने आगे नहीं आया। बेटा पिता के शव को देख कर बिलखता रहा और जो भी सरकारी नंबर, हेल्पलाइन नंबर थे, उस पर मदद की गुहार लगाते रहे। कुछ नंबर तो रिसीव नहीं हुए, जो रिसीव भी हुए, वहां से सिर्फ मदद का आश्वासन दिया गया, लेकिन मदद कोई नहीं मिली। ऐसे में बेटे ने पैसा देकर मोहल्ले वालों से मदद मांगी। मोहल्ले वालों ने फोन करके प्राइवेट एंबुलेंस बुलाई। पीपीई किट में आए दो लोगों ने शव को एंबुलेंस में रखा और अंतिम संस्कार के लिए ले गए। संक्रमित होने के कारण पिता और पुत्र के अलावा कोई और सदस्य घर में नहीं था।

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