Allahabad University के पूर्व कुलपति रहे दिवंगत प्रो. आरपी मिश्र 1989 में प्रतापगढ़ लोकसभा से चुनाव भी लड़े थे

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. आरपी मिश्र का निधन शुक्रवार को हो गया। इसी के साथ शिक्षा और राजनीतिक के क्षेत्र ने एक बड़ा नाम खो दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को अपना कर्मभूमि बनाने वाले स्व. मिश्र की ख्याति देश भर में थी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 08:06 AM (IST)
Allahabad University के पूर्व कुलपति रहे दिवंगत प्रो. आरपी मिश्र 1989 में प्रतापगढ़ लोकसभा से चुनाव भी लड़े थे
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. आरपी मिश्र का निधन शुक्रवार को हो गया

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. आरपी मिश्र का निधन शुक्रवार को हो गया। इसी के साथ शिक्षा और राजनीतिक के क्षेत्र ने एक बड़ा नाम खो दिया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को अपना कर्मभूमि बनाने वाले स्व. मिश्र की ख्याति देश भर में थी। उनके पढ़ाए छात्र राजनीति से लेकर प्रशासनिक एवं शिक्षा जगत में बड़े पदों को सुशोभित कर रहे हैं।

देश-विदेश में नाम अर्जित किया

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील क्षेत्र के हनुमानपुर गांव के रहने वाले आरपी मिश्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भूगोल विषय के शिक्षक के रूप में भी कई साल सेवा दी और बाद में यहीं पर कुलपति भी बन गए। वह विदेशों में भी कई नामचीन विश्वविद्यालयों में गए और अपने व्यक्तित्व से वहां के शिक्षकों और छात्रों को खासा प्रभावित किया। शिक्षा जगत ही नहीं राजनीतिक के क्षेत्र में भी उन्होंने अपनी किस्मत आजमायी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी उनके निधन से काफी दुखी हैं और उन्हें श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहते हैं कि उनके जैसा गुरु भाग्यशाली लोगों को ही मिल पाता है। उन्होंने अपनी विद्वता से प्रतापगढ़ की धरती का सम्मान ना सिर्फ देश में अपितु विदेशों में भी किया। वह बहुत ही सैद्धांतिक थे। उनका नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा। प्रो. मिश्र ने वर्ष 1989 में प्रतापगढ़ लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। एलकेडी से चुनाव लडऩे वाले प्रो. मिश्र चौथे स्थान पर रहे थे। उस समय कांग्रेस के दिग्गज नेता दिनेश सिंह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। 

सभी हैं निधन से दुखी

इतना बड़ा नाम होने के बावजूद उनका अपने गांव और क्षेत्र के लोगों से कभी नाता नहीं टूटा। जब भी किसी कालेज या किसी कार्यक्रम में उन्हें बुलाया जाता, वे सहर्ष ही उसमें शामिल होने चले आते। उनके निधन से पूरा जिला स्तब्ध है। खासकर शिक्षा और राजनीति से जुड़े लोगों को उनके जाने का। एमडीपीजी कालेज के प्राचार्य प्रो. विनोद शुक्ला व प्रोफेसर डा. शक्ति कुमार पांडेय एवं पीबी कालेज के प्राचार्य डा. बृजुभानु सिंह ने उनके निधन पर गहरी श्रद्धाजंलि अर्पित की।   

जमींदारी थी, पिता किसान थे

कुंडा तहसील क्षेत्र के हनुमानपुर गांव के रहने वाले रामस्वरूप मिश्र किसान थे। उनके तीन बेटों में सबसे बड़े आरपी मिश्र थे। उनकी पहली नौकरी केंद्रीय सचिवालय में सचिव पद पर लगी थी। वहां उनका ज्यादा दिन मन नहीं रमा और वह इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चले आए। इनके छोटे भाई लक्ष्मीकांत मिश्र पंत नगर कृषि विश्विवद्यालय में प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए। वहीं तीसरे भाई डॉ. राजेश चंद्र मिश्र पशु विभाग में निदेशक पद से रिटायर हुए। 

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