आप भी जानें, इस 'अयोध्‍या' में हर घर की पहली रोटी गाय के नाम होती है Prayagraj News

प्रयागराज में अयोध्‍या गांव के हर घर में भोजन से पहले भोग लगाया जाता है। पहली रोटी गाय के नाम निकाली जाती है उसके बाद ही लोग भोजन करते हैैं। ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी होता आ रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 10:03 AM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 03:42 PM (IST)
आप भी जानें, इस 'अयोध्‍या' में हर घर की पहली रोटी गाय के नाम होती है Prayagraj News
आप भी जानें, इस 'अयोध्‍या' में हर घर की पहली रोटी गाय के नाम होती है Prayagraj News

प्रयागराज, [ज्ञानेंद्र सिंह]। प्रभु राम की जन्मस्थली अयोध्या में जब से राम मंदिर निर्माण का फैसला सुप्रीम कोर्ट से आया है, तब से अयोध्या आह्लïलादित है। ऐसे में प्रयागराज जिले के कोरांव स्थित अयोध्या नाम के गांव का जायजा लेने इस उद्देश्य से दैनिक जागरण की टीम पहुंची कि नाम की साम्यता वाला यह गांव कैसा है और क्या सोचते हैैं गांव के वासी। लोग राम नाम धारी मिले और गांव सनातनी संस्कृति का गवाह। हर घर के दरवाजे पर गाय, घर की पहली रोटी गाय को। हर आंगन में तुलसी का पौधा, उस पर चढ़ता जल गवाही देता है कि अद्भुत है रामनामी यह अयोध्या।

गांव के हर घर में है गाय 

गांव के हर घर में भोजन से पहले भोग लगाया जाता है। पहली रोटी गाय के नाम निकाली जाती है, उसके बाद ही लोग भोजन करते हैैं। ऐसा पीढ़ी दर पीढ़ी होता आ रहा है। यही वजह है कि घर के हर दरवाजे पर गाय मिल जाएगी। गांव के राम नाम धारी राम मनोहर और राम दयाल कहते हैैं कि वह पशु-पक्षियों को लेकर धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक पक्ष भी समझते हैैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि गाय में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है, इसलिए रोज एक रोटी गाय को खिलानी चाहिए। इससे देवता प्रसन्न होते हैं। रामदेव, रामशंकर बताते हैैं कि जीवन में शुभता और वैभव हासिल करने के लिए गाय की रोटी में हल्दी मिलाकर खिलाए जाने की यहां परंपरा है।

हर घर के आंगन में है तुलसी का पौधा

गांव में तुलसी की महिमा भी घर-घर विद्यमान है। आंगन में लगे तुलसी के पौधे को जल देने की प्राचीन परंपरा है। लोग पौधे की महिमा भी बखूबी जानते हैैं। राम अभिलाष बताते हैैं कि तुलसी के पौधे को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी प्रिय है। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा में प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता है। तुलसी पर जल चढ़ाने के दौरान महिलाएं मंत्र भी पढ़ती हैैं। गांव में पीपल के पेड़ की संध्या आरती भी होती है। पीपल के पेड़ भी बहुतायत में हैैं।

गौरैया को सुबह-शाम देते हैैं दाना,पिलाते हैैं पानी

यहां के लोगों मेें पक्षी प्रेम भी अटूट है। घरों, बागों में गौरैया के घोसले देखे जा सकते हैैं। गांव के लोग बखूबी जानते हैैं कि गौरैया हमारी प्रकृति और उसकी सहचरी है, इसीलिए घरों के कोने में उसके लिए छोटा सा गत्ता लगाकर आशियाना बनाते हैैं। घरों की छतों, बालकनी और आंगन में एक बर्तन में पानी और खाना रखा जाता है। बच्चे हों अथवा बुजुर्ग, सुबह और शाम को गौरैया को दाना खिलाना नहीं भूलते हैैं, इसीलिए तो गांव में गौरैया चहचहाती हैैं।

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