Magh Mela 2021 : कोहरे का असर, मकर संक्रांति से भी कम रही संगम नोज पर स्नानार्थियों की भीड़

गुरूवार को कोहरा छंटने के बाद संगम पर भीड़ कुछ बढ़ी लेकिन मेला खाली-खाली ही रहा। चूंकि मेला में प्रवेश द्वार पर पुलिस का पहरा था। पुलिस की सख्ती के चलते दो पहिया वाहनों को भी प्रवेश नहीं मिल रहा था शहर और आसपास के लोग स्नान करने नहीं पहुंचे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 04:55 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 04:55 PM (IST)
Magh Mela 2021 : कोहरे का असर, मकर संक्रांति से भी कम रही संगम नोज पर स्नानार्थियों की भीड़
घने कोहरे के चलते मकर संक्रांति पर्व से भी कम श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे।

प्रयागराज, जेएनएन। माघ मेला में पौष पूर्णिमा पर पुलिस की सख्ती, कोरोना वायरस की चपेट में आने का डर और घने कोहरे के चलते मकर संक्रांति पर्व से भी कम श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे। यहां पर एक किलोमीटर लंबा घाट बनाया गया है इसलिए हजारों लोगों की भीड़ भी बिखरी-बिखरी लग रही थी।

मेला क्षेत्र खाली, गेट पर रोक

गुरूवार को कोहरा छंटने के बाद संगम पर भीड़ कुछ बढ़ी लेकिन मेला खाली-खाली ही रहा। चूंकि मेला में प्रवेश द्वार पर पुलिस का कड़ा पहरा था। पुलिस की सख्ती के चलते दो पहिया वाहनों को भी प्रवेश नहीं मिल रहा था। ऐसे में खास तौर पर शहर और आसपास के लोग स्नान करने नहीं पहुंचे। घाट और पुल पर भले भीड़ नहीं रही लेकिन पुलिस की सख्ती मेला क्षेत्र में भी जारी रही। थोड़ी दूरी के लिए श्रद्धालुओं को लंबा चक्कर लगवाया गया।

संगम पर तेज रहा बहाव

पौष पूर्णिमा पर गंगा में बहाव तेज था। संगम नोज पर घाट से दो तीन मीटर की दूरी पर ही पानी गहरा था। इसलिए इतने दायरे में ही बैरीकेडिंग की गई थी। ऐसे ही दूसरे घाटों पर बैरीकेडिंग बनाई गई थी। पानी का बहाव तेज होने के कारण कटान रोकने का भी काम जारी था। सिंचाई विभाग की टीम छतनाग घाट के आसपास और सेक्टर चार, पांच में बल्ली के जरिए क्रेट लगाने में जुटी रही।

निराश थे पंडा

स्नानार्थियों को टीका चंदन लगाने वाले पंडों को घाट से करीब दो सौ मीटर दूर रहने को कहा गया था। भीड़ कम होने पर वह घाट के निकट पहुंचे तो उनको वहां से भगा दिया गया। चूंकि पिछले मेले के सापेक्ष भीड़ कम थी इसलिए वह निराश थे।

घर-घर पहुंचा गंगा जल

गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने वाले लोग गंगा जल घर भी ले गए। गंगा जल ले जाने के लिए कुछ तो घर से बोतल लेकर आए थे तो अधिकतर ने घाट पर ही डिब्बा खरीदा। दिनभर में लाखों लोग एक-एक डिब्बा गंगा जल घर ले गए।

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