कैसे होगी आखिर पढ़ाई, महज ​​​​​एक शिक्षामित्र के सहारे है प्रतापगढ़ का यह प्राथमिक स्कूल

जागरण टीम पहुंची तो पता चला कि स्कूल में न तो शौचालय है और न ही पेयजल की मुकम्मल व्यवस्था। स्कूल में पानी की टंकी रखवाई गई है। सप्लाई वाले पानी से किसी तरह काम चलाया जा रहा है। शिक्षक शफीक ने बताया कि पेयजल के लिए प्रार्थनापत्र दिया है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 09:05 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 09:05 AM (IST)
कैसे होगी आखिर पढ़ाई, महज ​​​​​एक शिक्षामित्र के सहारे है प्रतापगढ़ का यह प्राथमिक स्कूल
स्कूल में बच्चों की संख्या 35 लेकिन एक भी शिक्षक की नहीं की गई नियुक्ति

प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। नगर क्षेत्र का प्राथमिक विद्यालय मकंद्रूगंज तृतीय (उर्दू मीडियम) शिक्षक विहीन चल रहा है। यहां पंजीकृत 35 बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ एक शिक्षामित्र पर है। हाल ही में प्राथमिक विद्यालय बेगमवार्ड को भी इसी स्कूल में समाहित कर दिया गया। बेगमवार्ड में 72 बच्चे हैं और एक शिक्षक तथा एक शिक्षामित्र की तैनाती है। आलम यह है कि अक्सर बच्चे आ जाते हैं और कोई पढ़ाने वाला नहीं रहता है। शिक्षा के प्रति सरकार की इतनी गंभीरता के बावजूद यह हाल है। ऐसे में सरकारी स्कूलों से बच्चे दूर होते जाएंगे। 

न पेयजल और न शौचालय है इस स्कूल में

जागरण टीम निरीक्षण पर पहुंची तो पता चला कि स्कूल में न तो शौचालय है और न ही पेयजल की मुकम्मल व्यवस्था। स्कूल में पानी की टंकी रखवाई गई है। सप्लाई वाले पानी से किसी तरह काम चलाया जा रहा है। शिक्षक शफीक ने बताया कि पेयजल के लिए उन्होंने बीएसए दफ्तर के साथ ही जलनिगम में भी प्रार्थनापत्र दिया है। इसके बावजूद पेयजल का इंतजाम नहीं किया गया। शौचालय बनाने के लिए स्कूल में जगह का अभाव है। प्राथमिक विद्यालय बेगमवार्ड जर्जर हाल में होने के कारण उसका ध्वस्तीकरण किया जा रहा है। इस कारण इस स्कूल के बच्चों व शिक्षकों को प्राथमिक विद्यालय मकंद्रूगंज तृतीय से संबद्ध कर दिया गया है।

बीएसए से कई बार कहा गया लेकिन नहीं दिया जा रहा ध्यान

प्राथमिक शिक्षक संघ के नगर अध्यक्ष मनोज पांडेय ने नगर क्षेत्र के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए बीएसए से कई बार मिलकर मांग की, लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया। इस वजह से शिक्षा की हालत बेहद खराब है।

शिक्षक प्राथमिक विद्यालय मकंद्रूगंज तृतीय में पेयजल व शौचालय की व्यवस्था कराई जाएगी। विद्यार्थियों की संख्या के सापेक्ष शिक्षकों की नियुक्ति का भी प्रयास किया जा रहा है।

- सुधीर कुमार सिंह, बीएसए

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