Kanpur Encounter : शहीद दारोगा का पार्थिव शरीर देररात प्रयागराज स्थित घर लाया गया, सीतामढी घाट पर अंतिम संस्कार
दारोगा शव घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। पत्नी और बच्चे शव से लिपटकर बिलखते रहे। शनिवार सुबह डीएम और एसएसपी भी बहादुर दारोगा को अंतिम विदाई देने पहुंचे।
प्रयागराज,जेएनएन। कानपुर में पुलिस टीम की शुक्रवार सुबह बदमाश से मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। शहीद पुलिसकर्मियों में दारोगा नेबू लाल बिंद (48)हंडिया थानाक्षेत्र के भीटी नउआ गांव के रहने वाले थे। दारोगा के शहीद होने की खबर मिलते ही स्वजन कानपुर चले गए थे। देररात शहीद के पार्थिव शरीर को हंडिया के भीटी नउआ स्थित घर पर लाया गया। दारोगा शव घर पहुंचते ही कोहराम मच गया। पत्नी और बच्चे शव से लिपटकर बिलखते रहे। शनिवार सुबह डीएम और एसएसपी भी बहादुर दारोगा को अंतिम विदाई देने पहुंचे। सुबह नौ बजे सलामी देने के बाद पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने शव को कंधा दिया। अंतिम संस्कार भदोही के सीतामढी स्थित गंगाघाट पर किया गया। बेटे अरविंद ने पिता के शव को मुखाग्नि दी।
चार भाइयों में सबसे बडे थे शहीद दारोगा नेबू लाल बिंद
किसान कालिका प्रसाद के चार बेटों में सबसे बड़े नेबू लाल पुलिस महकमें में दारोगा थे। दारोगा के दूसरे नंबर का भाई जय प्रकाश होमगार्ड हैं। तीसरा भाई ओम प्रकाश पुलिस महकमे में आरक्षी है और वाराणसी में तैनात है। सबसे छोटा भाई विजय प्रकाश घर पर रहकर खेती करता है।
1990 में सिपाही के पद हुए थे भर्ती, 2011 बैच के थे दारोगा
नेबू लाल 1990 में पुलिस महकमें में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे। 2009 में रैंकर्स परीक्षा पास की थी। 2011 बैच के दारोगा नेबू लाल को दो साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद 2013 में कानपुर में तैनात मिली थी। पत्नी श्यामा देवी गांव में ही रहती हैं। उनके चार बच्चे हैं। सबसे बड़ी बेटी तीस वर्षीय सुनीता की शादी हो चुकी है। दूसरे नंबर का बेटा अरविंद पिता के साथ कानपुर में रहकर एमबीबीएस की तैयारी करता है। तीसरे नंबर की बेटी मधुबाला पास के एक महाविद्यालय से बीटीसी कर रही है। जबकि सबसे छोटा बेटा हिमांशु गांव में रहता है। वह एक महाविद्यालय से बीए की पढ़ाई कर रहा है। मुठभेड़ में दारोगा के शहीद होने की खबर पाकर घरवाले कानपुर के लिए रवाना हो गए हैं।
घर में मचा है कोहराम
घर में शहीद नेबूलाल बिंद की सबसे छोटी बेटी और एक बहन ही है। उनकी बदमाशों से मुठभेड़ के दौरान शहीद होने की खबर पाकर गांव के लोग और रिश्तेदार परिवार को सांत्वना देने के लिए पहुंचे हैं। रिश्तेदार और गांव के लोग शहीद दारोगा के शव के गांव लाने का इंतजार कर रहे हैं।