GIC Prayagraj के पुरा छात्र 25 साल बाद मिले, सबकी जुबां पर थे अपने-अपने किस्से
GIC में पुरा छात्र अपनी अपनी कक्षाओं में भी गए और उसी सीट पर बैठे जिस पर विद्यार्थी जीवन में बैठते थे। कोई पुराने किस्सों को सुना रहा था तो कोई दीवार व सीट पर कूरेदे गए अपने नाम को खोजने की कोशिश कर रहा था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। करीब ढाई दशक बाद जब जीआइसी के पुरा छात्र रविवार को कॉलेज पहुंचे तो उनकी आखें चमक उठीं। मन मस्तिष्क में 25 साल पहले की यादें ताजा हो गईं। सभी ने एक दूसरे से गले लगकर खुशी बांटी। यहां तक कि अपनी अपनी कक्षाओं में भी गए और उसी सीट पर बैठे जिस पर विद्यार्थी जीवन में बैठते थे। कोई पुराने किस्सों को सुना रहा था तो कोई दीवार व सीट पर कूरेदे गए अपने नाम को खोजने की कोशिश कर रहा था। इसी बीच किसी ने स्कूल की घंटी बजाई तो सभी भागकर प्रार्थना स्थल पर पहुंच गए।
शिक्षकों को किया पुरा छात्रों ने सम्मानित
प्रार्थना स्थल पर पुराने शिक्षकों को देखकर पहले की तरह ठिठक गए। फिर आगे बढ़कर आशीर्वाद भी लिया। 1996 बैच के इन सभी छात्रों ने कतार में खड़े होकर प्रार्थना भी की। उसके बाद शिक्षकों को शॉल, स्मृति चिह्न व किताबें देकर सम्मानित किया। पुरा छात्रों की ओर से स्कूल को पंखे भी दिए गए। कुछ देर सभी ने क्रिकेट मैच भी खेला। पुरा छात्रों ने उन शिक्षकों को भी नमन किया जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। विदाई की बेला में हर किसी की आंखे भर आईं। कहने लगे कि काश वक्त थम जाए। फिर मिलने का वादा कर एक दूसरे को विदाई दी।
कभी छात्र थे, आज वहीं थे मुख्य अतिथि
इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे एडीजे कौशांबी संजय मिश्रा ने बताया कि वह खुद जीआइसी के विद्यार्थी रहे हैं। वर्षों बाद उसी स्कूल में मुख्य अतिथि बनकर आने से बड़ा कोई सम्मान नहीं हो सकता। ऐसा लग रहा है मानो अतीत की कोई खिड़की खुल गई है। सारी यादें एक एक कर मन को तसल्ली दे रही हैं। इस दौरान जीआइसी के प्रिंसिपल वीपी सिंह भी मौजूद रहे। इस आयोजन में आशीष रत्न मिश्र, प्रवीण पांडेय, आशुतोष मिश्र, विकास कुशवाहा, डा. यतीश्वर मिश्रा, रुद्र प्रताप ओझा, कपिल श्रीवास्तव, सुधीर, परवेज सिद्दीकी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।