Allahabad High Court से अनुसूचित जाति की नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपित को मिली जमानत
कोर्ट ने कहा कि तीन सह अभियुक्तों को पहले जमानत मिल चुकी है और याची साढ़े तीन साल से जेल में बंद है। मेडिकल जांच रिपोर्ट तथा पीडि़ता के बयान मेल नहीं खाते। ऐसे में याची जमानत पाने का हकदार है। अपीलार्थी के अधिवक्ता आर बी कनहरे ने बहस की।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एससी,एसटी तथा पाक्सो एक्ट सहित दुष्कर्म के मामले में आरोपित की अपील मंजूर करते हुए उसे सशर्त जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने शिवराम की अपील पर दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत के आदेश को रद कर दिया है।
तीन सह अभियुक्तों को पहले जमानत मिल चुकी
कोर्ट ने कहा कि तीन सह अभियुक्तों को पहले जमानत मिल चुकी है और याची साढ़े तीन साल से जेल में बंद है। मेडिकल जांच रिपोर्ट तथा पीडि़ता के बयान मेल नहीं खाते। ऐसे में याची जमानत पाने का हकदार है। अपीलार्थी के अधिवक्ता आर बी कनहरे ने बहस की। उनका कहना था कि पीडि़ता के पिता ने 28 जनवरी, 2017 को आगरा के एतमादुद्दौला थाने में पवन पर अपने बेटी को 12 जनवरी को भगा ले जाने और साथियों के साथ गुडगांव में सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। फिर 27 जनवरी को बरामदगी के बाद एफआइआर दर्ज कराई गई। पीडि़ता ने अपने बयान में सह अभियुक्तों पवन, प्रेम सिंह व विक्रांत पर आरोप नहीं लगाया, किंतु अपीलार्थी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। मेडिकल जांच रिपोर्ट में सहवास किए जाने की बात नकार दी गई है। तीनों सह अभियुक्त जमानत पर हैं। कोर्ट ने याची को भी सशर्त जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।