प्रयागराज के श्मशान घाट पर आंखों से छलके आंसू जब बेटी ने कांपते हाथों से दी पिता को मुखाग्नि
श्याम सुंदर तिवारी की पत्नी का निधन हो चुका है। रविवार देर रात उनका भी देहांत हो गया। सोमवार को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करना था। कोरोना महामारी की वजह से सगे संबंधी नहीं पहुंच सके। ऐसे में पूर्णिमा ने पिता के अंतिम संस्कार के लिए व्यवस्था की।
प्रयागराज, जेएनएन। सोमवार दोपहर का वाकया। दारागंज स्थित श्मशान घाट हमेशा की तरह दुखद नजारा था मगर कुछ अलग। दरअसल सोमवार को वहां एक बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। उस समय उसके हाथ कांप रहे थे और वह फूट-फूटकर रो रही थी। यह दारूण दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंख छलक उठीं। सभी गम में डूबी उस बेटी को दिलासा देने में लगे थे। ये वे लोग थे जो इस बेटी को जानते नहीं थे और किसी दूसरे के अंतिम संस्कार में आए थे, लेकिन यह सब देखकर वे खुद को रोक नहीं सके।
कोई भाई नहीं है तो क्या, मैं ही पूरा करूंगी क्रियाकर्म
नैनी के रहने वाले श्याम सुंदर तिवारी टीएसएल के सेवानिवृत्त कर्मचारी थे। उनकी उम्र 77 वर्ष थी। उनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी की शादी कर चुके हैं, जबकि छोटी बेटी पूर्णिमा तिवारी है। श्याम सुंदर तिवारी की पत्नी का निधन हो चुका है। रविवार देर रात उनका भी लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया। सोमवार को उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार करना था। कोरोना महामारी की वजह से सगे संबंधी नहीं पहुंच सके। ऐसे में पूर्णिमा ने पिता के अंतिम संस्कार के लिए पूरी व्यवस्था की। पार्थिव शरीर को एंबुलेंस से दारागंज घाट पर ले आई। अंतिम संस्कार कराने वाले ने जब यह पूछा कि अंत्येष्टि कौन करेगा तो पूर्णिमा ने कहा कि उसका कोई भाई नहीं है। ऐसी स्थिति में वह ही मुखाग्नि देगी। यह सुनकर सभी सन्न रह गए। वह बरबस रोए जा रही थी। वहां मौजूद लोगों ने उसे ढांढस बंधाया और फिर पूर्णिमा ने पिता के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। उसने आंखों से गिरते आंसुओं के बीच दाग भी दिया।