International Womens Day 2021: 'प्रेरणा' के लिए प्रधानाध्यापिका रीना बन रहीं प्रेरणा, पुस्तकीय ज्ञान के साथ कौशल विकास पर भी जोर
इन दिनों वह मिशन प्रेरणा कार्यक्रम में प्रदेश स्तरीय संदर्भदाता के रूप में कार्य कर करते हुए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में लगी हैं। प्रदेश सरकार के लक्ष्य उत्तर प्रदेश को प्रेरक प्रदेश के रूप में विकसित करने के अभियान को भी सार्थक कर रही हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। वक्त कभी बुरा नहीं होता। बस उसे बदलने का संकल्प होना चाहिए। चीजें अपने आप अनुकूल होती चली जाती हैं। कुछ इसी का उदाहरण हैं सैदाबाद विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय चक सिकंदर की प्रधानाध्यापिका डॉ. रीना मिश्रा।
मिशन प्रेरणा कार्यक्रम में संदर्भदाता के रूप में कर रही हैं कार्य
इन दिनों वह मिशन प्रेरणा कार्यक्रम में प्रदेश स्तरीय संदर्भदाता के रूप में कार्य कर करते हुए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने में लगी हैं। प्रदेश सरकार के लक्ष्य उत्तर प्रदेश को प्रेरक प्रदेश के रूप में विकसित करने के अभियान को भी सार्थक कर रही हैं। अपने दायित्वों के जरिए वह विद्यार्थियों में बोधगम्यता बढ़ाने, रचनात्मकता विकसित करने व कौशल विकास के लिए भी प्रयासरत हैं। जुलाई में शिक्षकों को प्रशिक्षण देने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने वाली टीम का भी वह हिस्सा रहीं। कहती हैं कि करीब 22 साल से प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को पढ़ा रही हैं। पुस्तकीय ज्ञान के साथ कौशल विकास पर भी उनका ध्यान रहता है। इसके लिए वह विद्यार्थियों को सिलाई, कढ़ाई, क्राफ्ट, संगीत का भी प्रशिक्षण देती हैं।
कोरोना काल में भी रहीं सक्रिय
कोरोना काल में भी इस प्रक्रिया को उन्होंने थमने नहीं दिया। स्कूल के विद्यार्थियों को वाट्सएप ग्रुप से जोड़कर पठन पाठन को सुचारु बनाने के साथ ही अन्य सृजनात्मक गतिविधियों को भी जारी रखा। उनके पढ़ाए बच्चे अब अलग-अलग क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। कई शिक्षक भी बन चुके हैं। सिलाई, कढ़ाई व क्राफ्ट सीखकर छात्राएं भी अपने पैर पर खड़ी होने की कोशिश कर रही हैं।
मिल चुका है कई पुरस्कार
डॉ. रीना मिश्र को प्रदेश स्तरीय संदर्भदाता व रोटरी की तरफ से नेशनल बिल्डर अवार्ड मिल चुका है। ब्लाक व जिला स्तर पर अच्छे शिक्षक के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है।
बालिकाओं की शिक्षा पर अधिक जोर
स्कूल में आने वाली छात्राओं के अभिभावकों से वह व्यक्तिगत रूप से मिलती रहती हैं। उनके पठन पाठन की नियमित रिपोर्ट भी देती हैं। अभिभावकों को प्रेरित करती हैं कि वह बच्चों की शिक्षा बीच में न छुड़वाने दें। कम उम्र में विवाह आदि न होने देने के लिए भी प्रयास करती रहती हैं।