बदलते मौसम में तन-मन की सुरक्षा को योग व ध्यान का भी सहारा लें, जानें स्पर्श चिकित्सा के टिप्स
रेकी मास्टर सतीश राय ने कहा कि अगर तन और मन स्वस्थ रखना है तो स्वस्थ व शुद्ध खानपान के साथ स्पर्श ध्यान और योग को अपनाएं। इससे तन व मन सुरक्षित रहेगा। बीमारी के शुरुआती लक्षण दिखे तो उसे प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का प्रयास करना चाहिए।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मौसम में बदलाव से इन दिनों सर्दी, जुकाम, बुखार का प्रकोप बढ़ गया है। एक तरह के अनियमित बुखार से लोग लंबे समय तक पीड़ित रह रहे हैं। दूसरे तरह के बुखार में लोगों का प्लेटलेट्स गिर रहा है l वैसे प्लेटलेट्स डेंगू मच्छर के काटने से आने वाले बुखार में गिरता है, जो जानलेवा होता है। एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान पर आयोजित निशल्क शिविर में स्पर्श चिकित्सा के ज्ञाता सतीश राय ने इससे बचने के टिप्स दिए।
व्यक्ति मानसिक व शारीरिक कष्ट से जूझ रहा : सतीश राय
रेकी मास्टर सतीश राय ने बताया कि खान-पान की अनियमितता और अनियमित दिनचर्या, शहरों में शुद्ध खाद पदार्थों का न मिलना व तनावपूर्ण जीवन से उत्पन्न नकारात्मक भावना के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इसके कारण व्यक्ति मानसिक व शारीरिक कष्ट से जूझ रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक किसी न किसी नए रोग से ग्रसित हो जा रहे हैं l शरीर का रोग ठीक करने के लिए लोग अत्यधिक दवा का सेवन कर रहे हैं। वह इस बात से अनभिज्ञ हैं कि अत्यधिक दवा का सेवन दूसरे रोग को जन्म देता है। व्यक्ति तात्कालिक मुक्ति के लिए दवा का सहारा लेते हैं जो आगे चलकर बड़े व असाध्य रोगों का जन्मदाता बनता हैI एक बार दवा शुरू हुई तो जीवन भर उससे छुटकारा नहीं मिलेगाl शारीरिक व मानसिक कष्ट भी बना रहेगाl
योग व ध्यान करने की दी सलाह
सतीश राय ने कहा कि अगर तन और मन स्वस्थ रखना है तो स्वस्थ व शुद्ध खानपान के साथ स्पर्श, ध्यान और योग को अपनाएं। इसके चंद मिनटों के अभ्यास से तन व मन हमेशा सुरक्षित रहेगा। जब भी शरीर में किसी भी बीमारी का शुरुआती लक्षण प्रकट हो तो उसे प्राकृतिक तरीके से ठीक करने का प्रयास करना चाहिए। इन बीमारियों के शुरुआती लक्षण है घबराहट, कमजोरी, बेचैनी, पेट खराब होना, जल्दी-जल्दी सर्दी व जुकाम होना, मौसम बदलते ही किसी न किसी बीमारी के चपेट में आना। ऐसे सभी रोगों को प्राकृतिक तरीके से ठीक कर दिया जाए तो बड़ी व कठिन बीमारियों से बचा जा सकता है। बोले कि वैसे भी प्राकृतिक खाद पदार्थों को अपनाने के साथ स्पर्श चिकित्सा को अपनाएंगे तो आपका तन व मन हमेशा सुरक्षित रहेगा। न दवा मे पैसा खर्च करना पड़ेगा और ना ही चिकित्सक से मिलने को लाइन लगानी पड़ेगी।