Swatantrata Ke Sarthi : लोक कला को समृद्ध बना रहीं हैं सोनाली Prayagraj News
Swatantrata Ke Sarthi सोनाली ने प्रयागराज के मुख्य लोकनृत्य ढेढिया को आकर्षक प्रस्तुति के जरिए नई पहचान दिलाई है।
प्रयागराज, [शरद द्विवेदी]। भारतीय संस्कृति की नींव उसकी परंपरा, संस्कार, रीति-रिवाज पर टिकी है। हर क्षेत्र का खास नृत्य व गायन होता है जो उसकी सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखता है। प्रयागराज की थाती ढेढिया नृत्य, कजरी, चैती व बिरहा गायन से समृद्ध रही है। लेकिन, दो दशक में आधुनिकता व पाश्चात्य संस्कृति की ऐसी बयार बही कि लोक संस्कृति आम लोगों से दूर हो गई। ऐसे में मौजूदा व भावी पीढ़ी को उसकी कला व संस्कृति से पुन: जोडऩे का संकल्प लिया है नृत्यांगना सोनाली चक्रवर्ती ने।
सोनाली ने प्रयागराज के मुख्य लोकनृत्य ढेढिया को नई पहचान दिलाई
देश-विदेश में लोककला का प्रदर्शन करने वाली सोनाली नए कलाकारों को निश्शुल्क प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें आगे बढऩे के लिए मंच प्रदान करती हैं। इनकी प्रेरणा से युवाओं में लोक कला के प्रति सम्मान व स्वाभिमान जागृत हुआ है। सोनाली ने प्रयागराज के मुख्य लोकनृत्य ढेढिया को आकर्षक प्रस्तुति के जरिए नई पहचान दिलाई है। सिर पर ढेढिया रखकर उसके अंदर दीपक जलाकर नृत्य करने की उनकी कला अद्भुत है।
इसके अलावा मयूर नृत्य, फूलों की होली, कजरी व चैती के गायन पर उनका मोहक नृत्य सबको खूब भाता है। बच्चों व युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए सोनाली धरोहर कला संगम नामक संस्था की सचिव के रूप में काम करती हैं। इसके साथ ही उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र से जुड़कर लोक नृत्य व गायन का प्रचार-प्रसार कर रही हैं। प्रयागराज के अलावा प्रतापगढ़, अमेठी, फतेहपुर, बाराबंकी, लखनऊ, कानपुर, बलिया सहित कई जिलों में समय-समय शिविर लगाकर बच्चों व युवाओं को निश्शुल्क प्रशिक्षण दिया है।
लॉकडाउन में चलाई ऑनलाइन क्लास
कोरोना संक्रमण काल का सदुपयोग करते हुए उन्होंने ऑनलाइन क्लास चलाया था। फेसबुक व यूट्यूब ऑनलाइन के जरिए सुबह नौ से 11 बजे व शाम को चार से सात बजे तक नृत्य व गायन का प्रशिक्षण देती थीं। उस दौरान सैकड़ों लोगों ने उनसे जुड़कर लोक कला का मर्म सीखा।
विदेशों में बिखेरा जलवा
सोनाली करीब 20 वर्षों से लोककला की प्रस्तुति कर रही हैं। दिल्ली, मुंबई, पटना, कोलकाता, बेंगलुरु, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा, जयपुर सहित देश के अनेक शहरों में प्रमुख अवसर पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। बैंकाक, थाईलैंड की धरती पर भी कार्यक्रम प्रस्तुत किया है। 2014 में मॉरीशस में प्रस्तुति से लोगों का दिल जीता था।
गरीब बच्चों को बना रहीं आत्मनिर्भर
सोनाली चक्रवर्ती ने कला के जरिए गरीब बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है। गरीब बच्चों को निश्शुल्क प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें अपने साथ मंच पर हुनर दिखाने का मौका देती हैं। वह कहती हैं कि कला के जरिए व्यक्ति नाम व पैसा दोनों आसानी से कमा सकता है। इसी कारण उन्होंने गरीब बच्चों को कला के जरिए आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम छेड़ी है।