Death anniversary of Swami Vivekananda : स्वामी विवेकानंद ने पास किया था रामकृष्ण मठ का नक्शा Prayagraj News
स्वामी विवेकानंद ने प्रयागराज आने पर ईश्वरो जयति को संबोधित एक पत्र 31 दिसंबर 1889 को लिखा था। पत्र की शुरुआत पूज्यपाद शब्द से की थी।
प्रयागराज, [ अमरदीप भट्ट ]। दुनिया के अनेक देशों को भारत के अध्यात्म का दर्शन कराने वाले स्वामी विवेकानंद संगम स्नान करने तीर्थराज प्रयाग भी आए थे। करीब 15 दिन शहर में रहे। मुट्ठीगंज में रामकृष्ण मठ एवं मिशन के भवन तथा बहादुरगंज में स्थित भुवनेश्वरी आश्रम का नक्शा उन्होंने खुद फाइनल किया था। उनके कहने पर नक्शा उनके गुरु भाई आर्किटेक्ट स्वामी विज्ञानानंद ने बनाया था। बाद में विज्ञानानंद ने भवन निर्माण भी कराया, लेकिन आश्रम निर्माण के दौरान उनका निधन हो जाने से वह अधूरा रह गया। आश्रम अब डॉ. अमिताभ बसु का आवास है। उसमें स्वामी विवेकानंद ने कई दिनों प्रवास किया था। आज यानी 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद जी की पुण्यतिथि है।
स्वामी विवेकानंद ने माघ मेले किया था कल्पवास
स्वामी विवेकानंद दिसंबर 1889 के अंतिम सप्ताह में प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) आए थे। माघ मेले में कल्पवास भी किया। बहादुरगंज में रहने वाले डॉ. अमिताभ बसु का कहना है कि स्वामी विवेकानंद उनके आवास में ही रुके थे। उस समय उनके परबाबा बीडी बसु के पास अध्यात्म से जुड़ी कई शख्सियतों का आना-जाना था। उनका घर भुवनेश्वरी आश्रम आध्यात्मिक स्थान के रूप में ही प्रचलित था। इस भवन की बाहरी बनावट की डिजाइन स्वामी विज्ञानानंद ने तैयार की थी। वे वाटर वर्क्स के इंजीनियर भी थे, इसलिए घर में भूमिगत पाइपलाइन ऐसी बिछवाई जिससे कि दो साल पहले तक पानी की सप्लाई बिना पंप के तीन मंजिल तक पहुंच जाती थी। रामकृष्ण मठ एवं मिशन के सचिव स्वामी अक्षयानंद बताते हैैं कि स्वामी विवेकानंद भुवनेश्वरी आश्रम में कई दिन ठहरे थे।
प्रयागराज से लिखे थे दो पत्र
स्वामी विवेकानंद ने प्रयागराज आने पर 'ईश्वरो जयति को संबोधित एक पत्र 31 दिसंबर 1889 को लिखा था। पत्र की शुरुआत पूज्यपाद शब्द से की थी। इसमें उन्होंने जिक्र किया था कि कुछ बंगाली सज्जन अत्यंत धर्मनिष्ठ और अनुरागी हैं। उनकी इच्छा है कि मैं यहां माघ मेले में कल्पवास करूं। उन्होंने एक अन्य पत्र पांच जनवरी 1890 को अपने गुरुभाई बलराम बोस को लिखा था। इसमें बलराम बोस के बीमार हो जाने का समाचार मिलने पर उन्होंने दुख जताया था। यह दोनों पत्र रामकृष्ण मठ एवं मिशन में उपलब्ध 'स्वामी विवेकानंद की पत्रावलियांÓ नामक पुस्तिका में हैं।