बंदिश में एप बना इबादत का सहारा
खुदा की इबादत के सबसे पाक महीने रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग संयमित जीवन जी रहे हैं। कुरआन का पाठ करने के साथ अल्लाह के नीति-निर्देशों को जीवन में आत्मसात कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के कारण तमाम बंदिशों में एप इबादत का सहारा बन गए हैं।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : खुदा की इबादत के सबसे पाक महीने रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग संयमित जीवन जी रहे हैं। कुरआन का पाठ करने के साथ अल्लाह के नीति-निर्देशों को जीवन में आत्मसात कर रहे हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण के कारण तमाम बंदिशों में एप इबादत का सहारा बन गए हैं।
मस्जिदों में सिर्फ पांच लोगों को प्रवेश मिल रहा है। आपदा के इस दौर में रोजेदार एप के जरिए घर पर ही इबादत कर रहे हैं। रमजान को लेकर गूगल प्ले स्टोर पर कई एप मौजूद हैं, रोजेदार उसे डाउनलोड करके उसी के अनुरूप अपना काम कर रहे हैं। प्रेयर टाइम साइलेंसर जैसे एप ने अकीदतमंदों के लिए इबादत काफी आसान कर दी है।
नमाज के समय बजती है रिंगटोन
गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद एप में ऐसे फीचर हैं जिनके जरिए सेटिंग करने के बाद रिंगटोन स्वत: बजने लगती है। जकात का फीसद भी एप के कैलकुलेटर से जोड़ सकते हैं, जिसमें ज्वैलरी, नकद, कैश इन बैंक एकाउंट, कैश इन बिजनेस एकाउंट, प्रोपर्टीज, रेंट इनकम सहित लोगों की आय के हिसाब से जकात की रकम आसानी से निकाल सकते हैं। एप में छह कलमे भी हैं, जिससे रोजा रखने वालों को काफी सहूलियत मिलती है।
एप में यह है खास
-प्रेयर टाइमिंग, मंथली प्रेयर टाइमिंग, किबला कम्पास, रमजान टाइमिंग, इस्लामिक कैलेंडर, मोस्कोज फाइंडर, दुआज, कलिमाज, कुरआन, तसबीह, जकात कैलकुलेटर व इस्लामिक वॉल।
बोले रोजेदार
एप से घर में इबादत करने में सहूलियत हो रही है। इसके जरिए हर जानकारी आसानी से मिलती है।
मो. चांद।
पाक महीने में समय की पाबंदी जरूरी है। पांचों टाइम की नमाज भी अदा करने में एप मददगार हैं।
अहमद अली।
घर में पूरे नियम से इबादत करना चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में एप युवाओं के लिए सुविधाजनक है।
अनवार।
20 अप्रैल
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शिया
सहरी : 4.03
इफ्तार : 6.42
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सुन्नी
सहरी : 4.06
इफ्तार : 6.32