संयुक्त प्रांत के गर्वनर की सिफारिश पर पेरिस में सिला गया था मोती लाल नेहरू का सूट, पढ़े पूरा किस्‍सा

इतिहासकार प्रो.जेएन पाल बताते हैं कि एक बार जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेसी नेता शिवप्रसाद अग्रवाल से कहा कि वे दर्जी की दुकान खोल दें। नेहरू की यह बात सुनकर वे ठगे से रह गए। जाति से वैश्य कर्म से काश्तकार शिवप्रसाद सोच में पड़ गए।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Tue, 23 Feb 2021 05:02 PM (IST) Updated:Tue, 23 Feb 2021 05:02 PM (IST)
संयुक्त प्रांत के गर्वनर की सिफारिश पर पेरिस में सिला गया था मोती लाल नेहरू का सूट, पढ़े पूरा किस्‍सा
प्रो.पाल बताते हैं कि नेहरू ने शिवप्रसाद अग्रवाल को दर्जी की हैसियत का एक किस्सा सुनाया।

प्रयागराज, जेएनएन। 1918 में महात्मा गांधी से संपर्क में के पहले नेहरू परिवार पश्चिमी सभ्यता को ही अपनाए हुआ था। मोतीलाल नेहरू का पूरा रहन सहन पाश्चात्य सरीखा था। वे हमेशा सूट पहनते थे। उनके आनंद भवन आवास पर रोजाना भव्य पार्टियां होती थीं। इस पार्टियों में अंग्रेज अफसर भी आते थे। एक बार मोतीलाल नेहरू पेरिस गए थे। यहां उन्होंने सूट सिलाने की इच्छा जाहिर की। दर्जी नेहरू के पास आया जरूर पर उसने सूट सिलने से इंकार कर दिया।

दर्जी की दुकान खोलने का दिया था सुझाव
इतिहासकार प्रो.जेएन पाल बताते हैं कि एक बार जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेसी नेता शिवप्रसाद अग्रवाल से कहा कि वे दर्जी की दुकान खोल दें। नेहरू की यह बात सुनकर वे ठगे से रह गए। जाति से वैश्य, कर्म से काश्तकार शिवप्रसाद सोच में पड़ गए। नेहरू उनका चेहरा देखकर समझ गए कि यह काम उन्हें पसंद नहीं आया। वे बोले क्यों पसंद नहीं आया दर्जी का काम? नेहरू ने कहा कि अभी आपको दर्जी की हैसियत का अंदाज नहीं है।
 
गर्वनर की सिफारिश पर सिला सूट
प्रो.पाल बताते हैं कि नेहरू ने शिवप्रसाद अग्रवाल को दर्जी की हैसियत का एक किस्सा सुनाया। उन्हें बताया कि 1919-11 में उनके पिता मोतीलाल नेहरू पेरिस के एक शानदार होटल में ठहरे हुए थे। वहां उन्होंने सूट सिलवाने के लिए एक दर्जी को बुलवाया। दर्जी ने आने पर कहा कि पहले आप प्रमाणपत्र दिखाइये कि आपको सूट पहनना आता है। मना करने पर वह बिना नाप लिए चला गया। उसी दौरान उस होटल में संयुक्त प्रांत के गर्वनर रुके थे। मोतीलाल ने गर्वनर को यह बात बताई। गर्वनर की सिफारिश पर दर्जी उनका सूट सिलने को तैयार हुआ। नेहरू ने शिवप्रसाद से कहा कि आप समझे दर्जी की पोजीशन। प्रो.पाल बताते हैं कि नेहरू ने शिवप्रसाद से सूट सिलने के लिए दर्जी की दुकान नहीं खोलने की बात की थी। क्योंकि 1918 में महात्मा गांधी के प्रभाव में आकर नेहरू परिवार ने पश्चिमी सभ्यता के हिसाब से रहना छोड़ दिया था और देशी भारतीय जीवन शैली अपनाकर अपने को पूरी तरह से बदल लिया। नेहरू ने कहा शिवप्रसाद से कहा कि वे कांग्रेसी नेताओं के खादी के कपड़े सिलने का काम कराएं। क्योंकि तब खादी के कुर्ते पायजामे सिलने वाले दर्जी कम मिलते थे।

chat bot
आपका साथी